धर्म ग्रंथों के अनुसार श्रावण पूर्णिमा पर रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2022) पर्व मनाना जाना चाहिए, लेकिन इस ये पर्व कब मनाएं, इसको काफी संशय बना हुआ है क्योंकि सावन की पूर्णिमा एक नहीं बल्कि 2 दिन (11 और 12 अगस्त) है।
उज्जैन. ज्योतिषियों के अनुसार 11 अगस्त, गुरुवार को पूरे दिन भद्रा का संयोग रहेगा जबकि 12 अगस्त, शुक्रवार को पूर्णिमा तिथि सुबह तीन मुहूर्त से भी कम रहेगी। ऐसे में सभी के मन में एक ही प्रश्न है कि रक्षाबंधन पर्व कब मनाया जाएगा। इस कन्फ्यूजन को लेकर अधिकांश ज्योतिषियों का कहना है कि रक्षाबंधन का पर्व श्रवण नक्षत्र के योग में मनाया जाता है जो कि 11 अगस्त, गुरुवार को है, इसलिए दिन भद्रा समाप्त होने के बाद रक्षाबंधन पर्व मनाया जा सकता है। इस दिन 200 साल बाद ग्रहों की दुर्लभ स्थिति बन रही है, जिसके चलते ये पर्व और भी खास हो गया है।
200 साल बाद बनेगी ग्रहों की ये दुर्लभ स्थिति (Raksha Bandhan 2022 Shubh Yog)
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, इस बार 11 अगस्त, गुरुवार को भद्रा काल के बाद रक्षाबंधन पर्व मनाया जा सकता है। इस दिन आयुष्मान, सौभाग्य और ध्वज नाम के शुभ योग रहेंगे, इनके अलावा शंख, हंस और सत्कीर्ति नाम के राजयोग भी इस दिन बन रहे हैं, जो इस पर्व को और भी खास बना रहे हैं। ग्रहों की बात की जाए तो इस बार रक्षाबंधन पर गुरु और शनि अपनी ही राशि में यानी मीन और मकर में वक्री स्थिति में हैं। ग्रहों का ऐसा दुर्लभ संयोग पिछले 200 सालों में नही बना।
कब से कब तक रहेगी भद्रा, कब बांधें राखी? (Raksha Bandhan 2022 Shubh Muhurat)
- डॉ. मिश्र के अनुसार ज्योतिष ग्रंथों में स्पष्ट किया गया है कि भद्रा का वास चाहे आकाश में रहे या स्वर्ग में, जब तक भद्रा काल पूरी तरह खत्म न हो जाए तब तक रक्षा बंधन नहीं करना चाहिए।
- 11 अगस्त, गुरुवार को पूर्णिमा तिथि सुबह 09:35 से आरंभ होगी, जो 12 की सुबह 07.16 तक रहेगी। वहीं, भद्रा काल 11 अगस्त की सुबह 10.38 से शुरू होकर रात 08.25 तक रहेगा। ऐसी स्थिति में 11 अगस्त, गुरुवार को रात 08.25 के बाद ही रक्षाबंधन मनाना चाहिए।
- वहीं, 12 तारीख को पूर्णिमा तिथि सुबह सिर्फ 2 घंटे तक ही होगी और इसके बाद भादौ मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी। इसलिए इस दिन रक्षा बंधन करना ठीक नहीं है।
- ज्योतिष ग्रंथों में रक्षाबंधन के समय को लेकर भी अपना मत दिया गया है, उसके अनुसार प्रदोष काल में भाई को रक्षा सूत्र बांधना बहुत ही शुभ रहता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद करीब ढाई घंटे तक रहता है। ऐसी स्थिति में भी रात 08.25 के बाद रक्षा बंधन पर्व माना शुभ रहेगा।
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