Shukra Pradosh Vrat 2022: कब किया जाएगा श्राद्ध पक्ष का प्रदोष व्रत? जानें सही डेट, पूजा विधि और मुहूर्त

Pradosh Vrat 2022: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई व्रत किए जाते हैं। प्रदोष व्रत भी इनमें से एक है। ये व्रत हर महीनें के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। इस बार ये तिथि 23 सितंबर, शुक्रवार को है। 
 

Manish Meharele | Published : Sep 18, 2022 5:14 AM IST / Updated: Sep 18 2022, 10:45 AM IST

उज्जैन. इन दिनों श्राद्ध पक्ष चल रहा है, जो 25 सितंबर तक रहेगा। इस दौरान कई व्रत-त्योहार मनाए जाएंगे। इसी क्रम में 23 सितंबर, शुक्रवार को प्रदोष व्रत किया जाएगा। शुक्रवार को होने से ये शुक्र प्रदोष (Shukra Pradosh Vrat 2022) कहलाएगा। इस व्रत में शिवजी की पूजा की जाती है। वैसे तो ये व्रत हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। लेकिन इस बार श्राद्ध पक्ष होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है, क्योंकि ऐसा संयोग साल में सिर्फ एक बार ही बनता है।

इन शुभ योगों में किया जाएगा प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat 2022)
पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 22 सितंबर, गुरुवार की रात से 23 सितंबर, शुक्रवार की रात तक रहेगी। इस दिन शिव और साध्य नाम के 2 शुभ योग बनेंगे। इन 2 शुभ योगों में प्रदोष व्रत करने से इसका महत्व और भी बढ़ जाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है- शाम 06:17 से रात 08:39 तक।

इस विधि से करें प्रदोष व्रत पूजा (Shukra Pradosh Vrat 2022)
- 23 सितंबर, शुक्रवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके बाद शिवजी की पूजा विधि-विधान से करें। 
- सबसे पहले शिवजी का अभिषेक शुद्ध जल से करें, इसके बाद पंचामृत से अभिषेक करें और दोबारा शुद्ध जल चढ़ाएं। 
- अब बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़ा, फूल, फल, भांग आदि चीजें चढ़ाएं। इस दौरान ऊं नम: शिवायं मंत्र का जाप करते रहें। 
- पूजा करने के बाद अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं और आरती करें। इस तरह पूजा करने से आपकी हर कामना पूरी हो सकती है।

ये है शुक्र प्रदोष की कथा (Shukra Pradosh Katha)
- पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में तीन मित्र रहते थे। उनमें से एक राजकुमार, दूसरा ब्राह्मण और तीसरा धनिक पुत्र था। तीनों का विवाह हो चुका था, लेकिन धनिक पुत्र का गौना नहीं हुआ था। 
- एक दिन धनिक पुत्र अपनी पत्नी को लेने ससुराल गया तो उसके सास-ससुर ने समझाया कि अभी शुक्र तारा अस्त है। ऐसे में पत्नी को विदा करना ठीक नहीं, लेकिन धनिक पुत्र नहीं माना और पत्नी को लेकर घर जाने लगा। 
- रास्ते में बैलगाड़ी का पहिया निकल गया और बैल की टांग टूट गई। कुछ दूर जाकर उन्हें डाकुओं ने घेर लिया। इसके बाद धनिक पुत्र को सांप ने काट लिया। जैसे-तैसे दोनों पति-पत्नी घर पहुंचें। 
- वैद्य ने धनिक से कहा कि आपका पुत्र 3 दिनों में मर जाएगा। तब ब्राह्मण पुत्र वहां आया और उसने कहा कि इसे तुरंत पत्नी सहित ससुराल भेजो और सभी लोग शुक्र प्रदोष का व्रत करो। धनिक ने ऐसा ही किया और शुक्र प्रदोष के व्रत से सब कुछ ठीक हो गया।


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