शिखर धवन की पत्नी ने तलाक के मांगे थे 13 Cr, क्या पति मांग सकता है गुजारा भत्ता?

क्रिकेटर शिखर धवन ने इंटरनेशन क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। एक साल पहले अपनी पत्नी से तलाक को लेकर चर्चा में थे। तब पत्नी ने उनसे 13 करोड़ रुपए मांगे थे, जिसके बाद सवाल उठा था कि क्या गुजारे भत्ते की कोई लिमिट है या नहीं?

Satyam Bhardwaj | Published : Aug 24, 2024 5:10 AM IST

Shikhar Dhawan Retirement : क्रिकेटर शिखर धवन ने शनिवार, 24 अगस्त को इंटरनेशनल क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट से संन्यास ले लिया है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने आखिरी वनडे 2022 में बांग्लादेश (Bangladesh) के खिलाफ खेला था, तब से उन्हें टीम इंडिया में जगह नहीं मिल रही थी। पिछले साल 4 अक्टूबर को उनका पत्नी आयशा मुखर्जी (Ayesha Mukherjee) से तलाक हो गया था। दिल्ली के पटियाला हाउस परिसर में फैमिली कोर्ट ने इस तलाक को मंजूरी दी थी। तब आयशा ने शिखर से तलाक के लिए 2.5 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (13 करोड़ रुपए) मांगे थे। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया में धवन की संपत्तियों का मालिकाना हक ट्रांसफर करने की भी मांग की थी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कोई कितना भी गुजारा भत्ता (Alimony) मांग सकता है? क्या सिर्फ पत्नी ही गुजारा भत्ता की हकदार है, पति नहीं? आखिर गुजारा भत्ते का नियम क्या है? जानिए इन सभी सवालों के जवाब...

गुजारा भत्ता क्या होता है

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जब एक इंसान दूसरे कमजोर या अक्षम व्यक्ति को खाना, कपड़ा, घर, पढ़ाई और मेडिकल जैसी बेसिक जरूरत के लिए आर्थिक मदद करता है तो वह गुजारा भत्ता कहलाता है। इसे मेंटेनेंस भी कहा जाता है। हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के तहत गुजारा-भत्ता भी दो तरह का होता है। पहला- अंतरिम गुजारा भत्ता, जो कोर्ट में मामला चलने के दौरान तय किया जाता है। दूसरा- परमानेंट गुजारा भत्ता, जो तलाक के बाद कोर्ट से तय राशि आजीवन देनी पड़ती है। इसमें कुछ नियम-शर्तें भी हो सकती हैं। स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 36, 37 में गुजारे-भत्ते को लेकर कुछ जरूरी प्रावधान हैं।

कितना गुजारा भत्ता मांगा जा सकता है

गुजारा भत्ता देने वाले की इनकम, प्रॉपर्टी, जिम्मेदारी और जरूरतों के हिसाब से तय की जाती है। इसकी कोई लिमिट नहीं है।

गुजारा भत्ता न दें तो क्या होगा

​गुजारे भत्ते को लेकर कोर्ट के आदेश के खिलाफ पति ऊपर की अदालतों में जा सकता है लेकिन फिर उसे अदालत का आदेश मानना ही पड़ता है। अगर वह इससे इनकार करता है तो पत्नी इसकी शिकायत कर सकती है। कोर्ट बैंक अकाउंट अटैच करने, पति की आधी सैलरी गुजारे भत्ते के लिए दे सकता है। अगर बैंक अकाउंट में पैसे नहीं है तो संपत्ति भी कुर्क करके गुजारा भत्ता दिया जा सकता है।

क्या पति भी मांग सकता है गुजारा भत्ता

हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के सेक्शन 24 में जेंडर न्यूट्रल माना गया है। मतलब पत्नी की तरह पति भी गुजारा भत्ता मांग सकता है। हालांकि, इसकी कुछ शर्ते हैं। पत्नी से गुजारा भत्ता पाने के लिए वे लोग ही हकदार हैं, जो आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं है, दिव्यांग हैं या किसी कारण से कमाने में सक्षम नहीं हैं, उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है या किसी गंभीर बीमारी की चपेट में हैं। पत्नी भी तभी गुजारा भत्ता देगी, जब वह आर्थिक तौर पर मजबूत हो, पैसे कमाती हो। हालांकि, व्यावहारिक रूप से कोर्ट में ऐसी मंजूरी नहीं होती है।

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