अगर शूटर ना होते तो क्या होते अभिनव बिंद्रा, एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में खिलाड़ी ने खोले जिंदगी के कई राज

बीजिंग ओलंपिक चैंपियन अभिनव बिंद्रा ने अगर शूटर न होते तो क्या होता। एक्सक्लूसिव बातचीत में अभिनव बिंद्रा ने कहा अगर वे शूटर न होते तो एडवोकेट होते।
 

नई दिल्ली. ओलंपिक चैंपियन खिलाड़ी अभिनव बिंद्रा ने स्पोर्ट्स को लेकर कई बातें कहीं। उन्होंने देश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाने की जरूरत है। बिंद्रा ने यह भी कहा कि भारतीय खेलों को बढ़ावा देने के लिए बेहतर माहौल बनाने की जरूरत है। ओलंपिक चैंपियन ने कहा कि अगर वे खिलाड़ी के तौर देश में नई प्रतिभाओं को मौका दे सकते हैं तो यह सबसे बेहतर काम होगा। अभिनव बिंद्रा ने अपनी लाइफ के बारे में भी कई बातें बताईं। कहा कि मैं पिछले 20-22 वर्षों से खेल से जुड़ा हूं, यही मेरा पहला प्यार है। 

शूटर न होते तो क्या होते
बीजिंग ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीत जीतने वाले अभिनव बिंद्रा ने कहा कि यदि वे शूटर नहीं बनते तो निश्चित तौर पर एडवोकेड होते। उन्होंने कहा कि मैं जोक्स के बारे नहीं कर पाउंगा। बिंद्रा ने कहा कि स्पोर्ट्स ही मेरा क्रश है। मैं स्पोर्ट्स में हूं क्योंकि मैं इसे प्यार करता हूं। बायोपिक के बारे में पूछे जाने पर बिंद्रा ने कहा कि मैं कोई फिल्म प्रोड्यूस नहीं कर रहा। हां केवल अपनी किताब के राइट्स सेल किए हैं। इसके अलावा मैं कुछ भी नहीं कर रहा हूं। फिल्म में गाने व डांस के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा किमुझे लगता है कि गाने और डांस का कोई चांस नहीं होगा। यदि ऐसा होता है तो यह मेरे वर्जन का सबसे खराब प्रतिरूप होगा। 

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ओलंपिक में मिली सबसे अच्छी सलाह 
जब अभिनव बिंद्रा से यह पूछा गया कि एथेंस ओलंपिक व बीजिंग ओलंपिक के बीच आपको सबसे अच्छी सलाह क्या मिली तो उन्होंने कहा कि इस दौरान मुझे सबसे अच्छी सलाह मिली कि अपने आउटकम से कैसे दूर रहा जाए और सिर्फ जीतने की जगह प्रक्रिया के बारे में सोचा जाए। जब मैं एथेंस गया तो जीतने के बारे में सोच रहा था लेकिन जब बीजिंग गया तो सिर्फ यही सोच रहा था कि मेरा प्रासेस बेहतर तरीके से हो जाए। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों को जीत हार से ज्यादा इस बात पर फोकस करना चाहिए कि उनके खेल का प्रासेस सही हो। 

युवाओं को स्पोर्ट्स में आना चाहिए
ओलंपिक चैंपियन अभिनव बिंद्रा ने कहा कि मैं उदाहरण देना चाहूंगा कि हमने कुछ ओलंपिक में मेडल नहीं जीते हैं लेकिन खिलाड़ियों की संख्या बढ़ रही है। टीनएजर्स भी अलग-अलग डिसिप्लीन्स में आगे आ रहे हैं। यह संकेत हैं कि खेलों में लोगों की दिलचस्पी बढ़ रही है। हमारे इस प्रोग्राम में इसे बढ़ावा मिलेगा। आप यह नहीं सोच सकते हैं हजारों-लाखों लोग किसी स्पोर्ट्स में अपनी लाइफ के बेशकीमती 20 साल दें लेकिन हमें यह संख्या बढ़ानी होगी। जो भी संख्या हमारे पास है, उन्हें आगे बढ़ाना होगा। खेलों में ज्यादा से ज्यादा पार्टिशिपेट करने से स्पोर्ट्स के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ेगी। हम यही देखना चाहते हैं कि युवा स्पोर्ट्स को अपनाएं।

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