पेरिस: पेरिस ओलंपिक में अपने ऊपर हुए हमले पर अल्जीरियाई मुक्केबाज इमाने ख़लीफ़ ने कहा कि आगे से किसी और महिला खिलाड़ी को ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े। ख़लीफ़ ने अपने आलोचकों को करारा जवाब देते हुए महिलाओं के 66 किलो बॉक्सिंग में स्वर्ण पदक जीता। पेरिस ओलंपिक में उन पर कई आरोप लगे। कई लोगों ने उन्हें पुरुष बताकर मज़ाक उड़ाया, जिनमें अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी शामिल थे। ख़लीफ़ ने रिंग में अपने प्रदर्शन से सबको जवाब दिया।
फाइनल में चीनी खिलाड़ी यांग लियू को हराकर इमाने ने यह ऐतिहासिक जीत हासिल की। इस जीत के बाद उन्होंने अपने ऊपर हुए दुष्प्रचार पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा, ''आठ साल से यह मेरा सपना था। मैं अब ओलंपिक चैंपियन और स्वर्ण पदक विजेता हूँ। आने वाले ओलंपिक में किसी और खिलाड़ी को ऐसे हमलों का सामना न करना पड़े। मैं भी किसी और औरत की तरह ही हूँ। मैं एक औरत के रूप में पैदा हुई और उसी तरह जी रही हूँ। यहाँ भी मैं एक औरत की तरह ही प्रतिस्पर्धा कर रही हूँ। इसमें कोई शक नहीं है। बेवजह विवाद खड़ा करने वाले लोग जीत के दुश्मन होते हैं। उन्हें यही कहा जा सकता है। इतनी आलोचनाओं के बीच जीत हासिल करना और भी ख़ास है।'' इमाने ने उम्मीद जताई कि इस पदक से लोगों का उनके प्रति नज़रिया बदलेगा।
इससे पहले, दिल्ली में हुए एक चैंपियनशिप में इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन ने इमाने को प्रतियोगिता से रोक दिया था। उन पर आरोप था कि उनके पास पुरुष क्रोमोसोम हैं। हालाँकि, पेरिस में उन्हें ओलंपिक समिति ने प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दे दी। लेकिन इमाने के ख़िलाफ़ प्री-क्वार्टर फाइनल मुकाबले से इटली की खिलाड़ी के हटने के बाद विवाद शुरू हो गया। ख़लीफ़ को साइबर हमलों का सामना करना पड़ा। आखिरकार, स्वर्ण पदक जीतने के बाद उनके प्रशंसक खुशी मना रहे हैं।