
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच मतदाता सूची में हुए बड़े बदलाव ने सियासी हलचल बढ़ा दी है। SIR (मतदाता पुनरीक्षण) के बाद चुनाव आयोग द्वारा जारी ताज़ा फाइनल लिस्ट ने कई नेताओं के राजनीतिक गणित को हिला कर रख दिया है। कहीं वोटर संख्या बढ़ने से उम्मीदवारों की उम्मीदें मजबूत हुई हैं, तो कहीं मतदाता घटने से सियासी जमीन खिसकती नज़र आ रही है।
राजद नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की पारंपरिक सीट राघोपुर में इस बार 1,720 वोटर घट गए हैं। 2020 में इसी सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे तेजस्वी के लिए यह आंकड़ा चिंता का सबब बन सकता है। हालाँकि, उनकी लोकप्रियता और संगठन की ताकत को देखते हुए RJD खेमे को अब भी भरोसा है कि यह कमी चुनावी नतीजे पर बड़ा असर नहीं डालेगी।
तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप यादव हसनपुर से विधायक हैं। लेकिन उनकी इस सीट पर भी मतदाता घटे हैं। 5 साल में यहां 3,855 वोटर कम हो गए। यही वजह है कि तेज प्रताप अब महुआ विधानसभा से किस्मत आज़माने की तैयारी में हैं, जहां इस बार 8,380 नए मतदाता जुड़े हैं। साफ है कि तेज प्रताप वोटर संख्या के नए गणित को ध्यान में रखकर ही सीट बदलने की रणनीति बना रहे हैं।
उधर, NDA खेमे के कई दिग्गज नेताओं की सीटों पर वोटर संख्या में बढ़ोतरी देखी जा रही है। डिप्टी सीएम विजय सिन्हा की लखीसराय सीट पर 21,518 नए वोटर जुड़े हैं। वहीं विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव की पटना साहिब सीट पर मतदाताओं की संख्या में 28,051 की बढ़ोतरी हुई है। यह आंकड़े NDA नेताओं के लिए चुनावी बढ़त का संकेत माने जा रहे हैं।
बिहार में सबसे बड़ा बदलाव भागलपुर जिले की बिहपुर सीट पर देखने को मिला है। यहां पिछले 5 साल में 76,697 नए मतदाता जुड़े हैं। भाजपा विधायक इंजीनियर शैलेंद्र के लिए यह बड़ा मौका साबित हो सकता है। इसके विपरीत, पीरपैंती सीट पर 61,418 वोटर घट गए हैं। यह आंकड़ा स्थानीय नेताओं के लिए सिरदर्द बना हुआ है और वे अब नए सिरे से रणनीति बनाने में जुट गए हैं।
मतदाता सूची में इस बड़े फेरबदल ने साफ कर दिया है कि आने वाले चुनाव में नेताओं के लिए सीटें पहले जैसी आसान नहीं होंगी। RJD खेमे के लिए राघोपुर और हसनपुर जैसी सीटें चुनौती बन सकती हैं, जबकि NDA नेताओं को पटना साहिब और लखीसराय में मजबूत आधार मिल रहा है। बिहपुर जैसे इलाकों में नए वोटरों का जुड़ना भाजपा के लिए वरदान साबित हो सकता है, वहीं पीरपैंती जैसी सीटों पर वोटर घटने से विपक्षी पार्टियों को नया सियासी गणित बिठाना होगा।
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