
Bihar Ganga island with mountains: अगर आप भागलपुर को सिर्फ़ रेशम के लिए जानते हैं, तो आप इसके बारे में अधूरे हैं। यह सिर्फ़ रेशम, जर्दालू या कतरनी के लिए ही नहीं, बल्कि तपोभूमि और पर्यटन स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहां कई ऐसी जगहें हैं, जिन्हें देखकर आप आनंदित हो जाएंगे। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं...
खासकर कहलगांव क्षेत्र की बात करें तो यह एक पर्यटन स्थल के लिए बेहद खास है। यहां गंगा के बीचों-बीच एक ऐसा द्वीप है, जो पूरे बिहार में और कहीं नहीं मिलता। जब आप कहलगांव में गंगा के किनारे जाएंगे, तो वहां का नजारा आपको अचंभित कर देगा। यहां तीन पहाड़ियां हैं, जो गंगा के बीचों-बीच स्थित हैं। इन पहाड़ियों की अपनी-अपनी कहानियां हैं। अब सरकार इन्हें चट्टानों को काटकर बनाए गए मंदिरों के रूप में संरक्षित घोषित करने जा रही है।
जब आप भागलपुर आकर कहलगांव में गंगा तट पर पहुंचेंगे, तो वहां का नजारा देखकर आपको इन पहाड़ियों को करीब से देखने का मन करेगा। कहलगांव राजघाट से आगे गंगा नदी में ये तीनों पहाड़ियां स्थित हैं, जो बिहार के लोगों के लिए अद्भुत आकर्षण का केंद्र बन गई हैं। पहली पहाड़ी शांति बाबा पहाड़, दूसरी बंगाली बाबा पहाड़ और तीसरी पंजाबी बाबा पहाड़ है। इन पहाड़ियों का नामकरण बाद में हुआ, पहले ये बुद्ध आश्रम, तपस आश्रम और नानकशाही आश्रम के नाम से जानी जाती थीं। इन तीनों पहाड़ियों का स्वरूप इतना अलौकिक है कि पर्यटक यहां खिंचे चले आते हैं।
गंगा के जिस हिस्से से लोग यहां पहुंचते हैं, वह विक्रमशिला गंगा डॉल्फ़िन अभयारण्य भी है, जहां डॉल्फ़िन अठखेलियां करती नजर आती हैं। लोग इसका भी खूब आनंद लेते हैं। जब गंगा का जलस्तर बढ़ता है तो तीन पहाड़ियां अलग-अलग दिखाई देती हैं और जब जलस्तर घटता है तो यह स्थान मनोरम हो जाता है। यह पूरी तरह से एक टापू बन जाता है और ड्रोन से देखने पर और भी अद्भुत लगता है। हर साल लाखों लोग गुफा और मंदिर के दर्शन और प्रकृति की गोद में शांति की तलाश में यहां पहुंचते हैं। इस स्थान की अलौकिकता तब और बढ़ जाती है जब गंगा की कलकल करती धारा इन पहाड़ियों से टकराकर बहती है।
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सरकार अब इस स्थान को चट्टान काटकर बनाए गए मंदिर के रूप में संरक्षित घोषित करने जा रही है। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की पहल पर इन पहाड़ियों की जांच की जाएगी और इसे बिहार प्राचीन पुरातात्विक अवशेष एवं कला निधि अधिनियम 1976 के तहत अधिसूचित घोषित किया जाएगा। यहां आने के लिए सबसे पहले कहलगांव पहुंचना होगा। वहां से लोग राजघाट या बटेश्वर स्थान घाट से नाव द्वारा यहां पहुंचते हैं।
कोलकाता से आने वाले पर्यटक गंगा नदी से साहेबगंज होते हुए कहलगांव पहुंचते हैं। नवगछिया तीनटंगा दूसरे किनारे पर है। लोग नाव, ट्रेन और वाहनों से भागलपुर पहुंचते हैं। विदेशों से पर्यटक बंगाल से गंगा नदी में क्रूज या जहाज और रेलगाड़ियों द्वारा यहां पहुंचते हैं।
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