
Bihar News: बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट शुक्रवार को प्रकाशित कर दी गई है। जिसमें लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने की उम्मीद है। किशनगंज विधानसभा क्षेत्र से सबसे ज़्यादा नाम हटाए जाने की संभावना है। चुनाव आयोग को बिहार की 91.69% मतदाताओं की मतगणना कॉपियां प्राप्त हो चुकी हैं, जिनमें 65 लाख मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में शामिल नहीं है।
मतदाता सूची के ड्राफ्ट जारी करने से पहले, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार के सभी 38 जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को मसौदा की फिजिकल और डिजिटल प्रतियां दी जाएंगी।
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार किशनगंज विधानसभा क्षेत्र में नाम हटाए जाने की संख्या सबसे ज़्यादा होने की संभावना है। यहां किशनगंज जिला मुख्यालय भी है, जो किशनगंज जिले के छह निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। किशनगंज में नाम हटाए जाने की अनुमानित संख्या का काफी असर पड़ सकता है क्योंकि ये, उत्तर-पूर्वी बिहार के मिथिला क्षेत्र में फैले सात सीमांचल जिलों में से एक है। यह क्षेत्र नेपाल और पश्चिम बंगाल की सीमा से लगा हुआ है और बांग्लादेश के भी काफी करीब है।
किशनगंज की सीमा के पास अक्सर इस क्षेत्र में अवैध प्रवासियों की घुसपैठ होती है। 13 जुलाई को, चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया था कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा घर-घर जाकर किए गए सर्वेक्षण में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के लोग बड़ी संख्या में लोग पाए गए हैं। ऐसे लोग आधार, आवासीय प्रमाण पत्र, राशन कार्ड आदि सभी दस्तावेज प्राप्त करने में सफल रहे हैं।
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मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि 1 से 30 अगस्त तक पूरी जांच के बाद, अगर यह सही पाया जाता है, तो ऐसे नामों को 30 सितंबर, 2025 को प्रकाशित होने वाली अंतिम सूची में शामिल नहीं किया जाएगा। सीमांचल क्षेत्र के अलावा, पटना जैसे शहरी इलाकों में जनता की कम उत्साहजनक प्रतिक्रिया को देखते हुए, इन इलाकों में भी नाम हटाए जा सकते हैं। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने ऐसे इलाकों के मतदाताओं को मौजूदा SIR के दायरे में लाने के लिए कई शिविर और संपर्क तंत्र स्थापित किए थे।
हालांकि, सूत्रों के अनुसार, 100% कवरेज हासिल नहीं किया जा सका और यह चिंता का विषय है। चुनाव आयोग ने इस हफ़्ते की शुरुआत में कहा था कि उसे बिहार के 91.69% मतदाताओं (7.24 करोड़ मतदाता) के गणना फ़ॉर्म मिल गए हैं, लेकिन कई कारणों से 65 लाख मतदाताओं के नाम मसौदा मतदाता सूची में शामिल होने की संभावना नहीं है। चुनाव आयोग को जहां 22 लाख लोग मृत मिले, वहीं सात लाख मतदाता कई जगहों पर पंजीकृत पाए गए।
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