
BSF soldier martyrdom: सोमवार का दिन नारायणपुर गांव के लिए सिर्फ एक दिन नहीं था, बल्कि एक वीर को अंतिम विदाई का दिन था। गांव की मिट्टी ने उस बेटे को अपनी गोद में जगह दी, जिसने देश की रक्षा में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। बीएसएफ सब इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज को हजारों नम आंखों और गगनभेदी नारों के बीच सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
शाम 4 बजे जनाजे की नमाज अदा की गई। सैकड़ों की संख्या में मौजूद लोग ‘भारत माता की जय’ और ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे लगाते दिखे। हर आंख में आंसू और हर दिल में इम्तियाज के लिए गर्व था। करीब डेढ़ बजे जब शहीद का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो चारों ओर बस इंसानों का सैलाब दिखा। शोक और जोश का अद्भुत संगम दिखा एक तरफ मातम, दूसरी तरफ देशभक्ति की गूंज।
शहादत की खबर 2 दिन तक छिपाई गई थी। जैसे ही दोपहर में पार्थिव शरीर पहुंचा, पत्नी शाहीन अजिमा बदहवास होकर गिर पड़ीं। गांव की फिज़ा भारी हो गई। मोहम्मद इम्तियाज के भाई मोहम्मद असलम ने गुस्से में कहा ‘पाकिस्तान को दुनिया के नक्शे से मिटा देना चाहिए। वो शांति की भाषा नहीं समझता, अब जवाब देना जरूरी हो गया है।’
पटना एयरपोर्ट पर जब शव पहुंचा, तो बेटे इमरान की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे। उसने कहा ‘मैं अपने पापा पर गर्व करता हूं। सरकार से अपील है कि पाकिस्तान को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। आज मैंने पिता को खोया है, कोई और न खोए।’
जनता और परिवार की एक ही मांग है – पाकिस्तान को ऐसा जवाब मिले कि कोई दुश्मन फिर आंख उठाकर देखने की हिम्मत न करे। मोहम्मद इम्तियाज की शहादत ने देश को एक और जख्म दिया, लेकिन साथ ही हमें यह याद भी दिलाया कि देश के सच्चे रक्षक कभी मरते नहीं, वे अमर रहते हैं। नारायणपुर की गलियों में आज भले ही मातम पसरा हो, लेकिन हर बच्चा आज 'शहीद इम्तियाज' को जानता है। उनकी कुर्बानी, साहस और देशभक्ति की कहानी अब पीढ़ियों तक सुनाई जाएगी।
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