Bihar Political Controversy: क्या सच में अंबेडकर का हुआ अपमान? लालू यादव को मिला SC/ST आयोग का नोटिस

Published : Jun 16, 2025, 06:58 AM IST
 Bihar Political Controversy

सार

बिहार अनुसूचित जाति आयोग ने अंबेडकर की तस्वीर के कथित अपमान के मामले में लालू प्रसाद यादव को 15 दिन में जवाब देने का नोटिस भेजा है। जवाब न देने पर SC/ST एक्ट में केस हो सकता है। जानिए पूरी विवादित घटना। 

Ambedkar insult case: बिहार राज्य अनुसूचित जाति आयोग (Bihar SC commission) ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव को एक वायरल वीडियो को लेकर नोटिस जारी किया है, जिसमें उनके जन्मदिन के दौरान बाबा साहब भीम राव अंबेडकर की तस्वीर कथित रूप से उनके पैरों के पास रखी गई दिखाई देती है। आयोग ने इस कृत्य को अंबेडकर के सम्मान का हनन मानते हुए पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव से 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा है। चेतावनी दी गई है कि अगर जवाब नहीं दिया गया तो SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत कानूनी कार्यवाही की जाएगी। नोटिस जारी करने वाले आयोग के उपाध्यक्ष देवेंद्र कुमार ने स्पष्ट किया कि यह मामला दलितों की भावनाओं से जुड़ा है और कोई भी व्यक्ति संविधान निर्माता के अपमान का अधिकार नहीं रखता।

 

 

वायरल वीडियो बना विवाद की जड़

यह विवाद लालू यादव के 78वें जन्मदिन समारोह के दौरान सामने आए एक वीडियो के कारण शुरू हुआ, जिसमें वह सोफे पर बैठे दिखाई दे रहे हैं और उनके पास एक कार्यकर्ता आकर डॉ. अंबेडकर की तस्वीर उनके पैरों के पास रखता है। वीडियो वायरल होते ही भाजपा समेत कई राजनीतिक दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी।

SC/ST आयोग का नोटिस और चेतावनी

बिहार अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष देवेंद्र कुमार (केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के दामाद) ने कहा कि यह मामला गंभीर है और अपमानजनक कृत्य की श्रेणी में आता है। आयोग ने 15 दिन के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है, वरना SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

 

 

राजनीतिक मोर्चाबंदी तेज

बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने इसे अहंकार की पराकाष्ठा बताते हुए कहा कि लालू यादव को माफी मांगनी चाहिए। वहीं, भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह दलित समाज का घोर अपमान है।

 

 

तेजस्वी यादव ने बताया राजनीति से प्रेरित कदम

राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस नोटिस को भाजपा की साजिश करार देते हुए कहा कि यह महज एक राजनीतिक हथकंडा है। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग का इस्तेमाल एनडीए नेताओं के रिश्तेदारों के पक्ष में हो रहा है और इसे “जमाई आयोग” कहा जाना चाहिए। तेजस्वी ने यह भी कहा कि नोटिस की कोई आधिकारिक कॉपी उन्हें अभी तक नहीं मिली है और जो मसौदा वायरल हो रहा है उसमें व्याकरण संबंधी कई त्रुटियां हैं।

 

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