लोकसभा चुनाव: आखिर मिल गया मुकेश सहनी की नाव को किनारा, तेजस्वी ने दी ये तीन सीटें

वीआईपी नेता मुकेश सहनी महागठबंधन में शामिल हो गए हैं। राजद ने उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अपने कोटे की तीन सीटें (गोपालगंज, झंझारपुर और मोतिहारी) दी हैं।

पटना। देश में लोकसभा चुनाव 2024 चल रहा है। इस बीच बिहार में महागठबंधन की ताकत में इजाफा हुआ है। लंबे समय से सहयोगी की तलाश कर रहे वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) के नेता मुकेश सहनी को महागठबंधन में शामिल हो गए हैं। इस तरह सहनी की नाव को आखिरकार किनारा मिला है। एनडीए से अलग होने के बाद उन्होंने फिर से एनडीए में शामिल की कोशिश की थी। बात नहीं बनी तो राजद से बातचीत की। पहले कहा जा रहा था कि राजद की ओर से मुकेश सहनी को पार्टी का विलय करने के लिए कहा गया है। मुकेश को यह मंजूर नहीं था।

वीआईपी को तेजस्वी ने दी तीन सीटें

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बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। महागठबंधन में राजद, कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल हैं। राजद को 26 सीटें मिली हैं। तेजस्वी यादव ने वीआईपी को अपने हिस्से की तीन सीटें (गोपालगंज, झंझारपुर और मोतिहारी) देने का फैसला किया है। कांग्रेस को 9 और वामपंथी पार्टियों को 5 सीटें मिली हैं। राजद के खाते में गया, नवादा, जहानाबाद, औरंगाबाद, बक्सर, पाटलिपुत्र, मुंगेर, जमुई, बांका, वाल्मीकि नगर, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, वैशाली, सारण, सीवान, गोपालगंज, उजियारपुर, दरभंगा, मधुबनी, झंझारपुर, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया, अररिया और हाजीपुर सीट है।

कांग्रेस को किशनगंज, कटिहार, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, पश्चिम चंपारण, पटना साहिब, सासाराम और महाराजगंज सीटें मिली हैं। CPI-ML को आरा, काराकाट और नालंदा मिली हैं। CPI को बेगूसराय और CPM को खगड़िया सीट मिली है।

कौन हैं मुकेश सहनी?

मुकेश सहनी मूल रूप से बिहार के दरभंगा जिले के सुपौल बाजार के रहने वाले हैं। 19 साल की उम्र में वह मुंबई गए थे। उन्होंने फिल्मों और सीरियल्स के सेट बनाने के कारोबार में अच्छी सफलता पाई। वह मल्लाह जाति से हैं। बिहार में इस जाति से कोई बड़ा नेता था। पिछले कुछ वर्षों में मुकेश सहनी ने खुद को मल्लाह जाति का नेता साबित करने की कोशिश की। शुरू में उनका राजनीतिक ग्राफ तेजी से चढ़ा, लेकिन अति महत्वाकांक्षा के चलते जल्द नीचे आ गया।

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में मुकेश एनडीए के साथ थे। वह खुद तो चुनाव हार गए, लेकिन उनकी पार्टी के चार उम्मीदवार जीत गए। इसके बाद मुकेश को विधान परिषद सदस्य बनाकर मंत्री पद दिया गया। भाजपा के न चाहने पर भी मुकेश विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उत्तर प्रदेश चले गए। इसके बाद उनकी पार्टी के चारों विधायक भाजपा में शामिल हो गए। मुकेश को मंत्री पद छोड़कर एनडीए से अलग होना पड़ा।

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