
पटनाः भोजपुरी फिल्मों के पावर स्टार और चर्चित सिंगर-एक्टर पवन सिंह एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। भाजपा में उनकी संभावित वापसी की अटकलें तेज हैं। इसी बीच उनकी मुलाकात आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा से हुई, जिसने राजनीतिक तापमान और बढ़ा दिया। लोकसभा चुनाव में दोनों नेता आमने-सामने थे और पवन सिंह ने जिस अंदाज़ में उपेंद्र कुशवाहा को कड़ी चुनौती दी थी, वह सबको याद है। लेकिन अब जब पवन सिंह ने सार्वजनिक मंच पर झुककर कुशवाहा को प्रणाम किया, तो इसे लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
इस मुलाकात के बाद लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने दावा किया था कि पवन सिंह कभी लखनऊ में उनके पैरों पर गिरे थे। तेज प्रताप ने यह भी कहा था कि पवन सिंह कलाकार हैं और उन्हें कलाकारी करनी चाहिए, राजनीति में नहीं पड़ना चाहिए। उन्होंने तंज कसते हुए यहां तक कह दिया कि “पवन सिंह का बुद्धि और विवेक काम नहीं कर रहा है।”
तेज प्रताप के इस बयान पर पवन सिंह ने नाम लिए बिना करारा पलटवार किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “मेरे लिए इंसानियत मायने रखती है। अगर मुझसे बड़ा कोई मेरे सामने खड़ा है और मैंने उनको प्रणाम कर लिया तो क्या उसको झुकना बोलते हैं? अगर ऐसा है तो ठीक है, ये मेरा संस्कार है। जय माता दी।” इस जवाब के बाद बिहार की सियासत में तेज प्रताप और पवन सिंह की जुबानी जंग चर्चा का नया विषय बन गई है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आते ही नेताओं की गतिविधियां तेज हो गई हैं। ऐसे समय में भोजपुरी स्टार्स की राजनीतिक हलचल को भी अहम माना जा रहा है। पवन सिंह, जिनकी लोकप्रियता भोजपुरी बेल्ट में अपार है, अगर भाजपा में वापसी करते हैं तो इसका असर सीधे चुनावी समीकरणों पर पड़ सकता है।
बिहार की राजनीति हमेशा से फिल्मी सितारों और बाहुबली नेताओं के लिए आकर्षण का केंद्र रही है। पवन सिंह और तेज प्रताप की यह जुबानी जंग सिर्फ व्यक्तिगत बयानबाजी नहीं, बल्कि आने वाले चुनावी समीकरणों का संकेत भी मानी जा रही है।
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