
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल गरमा गया है और इसी बीच जनसुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर (PK) ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि इस बार का चुनाव पूरी तरह त्रिकोणीय मुकाबले में बदल चुका है जिसमें एनडीए, महागठबंधन और जनसुराज के बीच लगभग 95 प्रतिशत वोटों की सीधी लड़ाई होगी। PK के अनुसार, बाकी दलों और निर्दलीयों का कोई खास प्रभाव इस बार के चुनाव में नहीं दिखेगा।
प्रशांत किशोर ने अपने बयान में कहा कि बिहार में अब जनता तीसरे विकल्प को तैयार है और जनसुराज उसी खाली जगह को भरने जा रहा है। उन्होंने कहा, “पिछले चुनाव में एनडीए और महागठबंधन को कुल 72 प्रतिशत वोट मिले थे। इसका मतलब है कि लगभग 28 प्रतिशत जनता पहले से ही इन दोनों गठबंधनों को नकार चुकी है। अब यही 28 प्रतिशत हमारे वोटर हैं और यही लोग बिहार में बदलाव की दिशा तय करेंगे।
PK ने यह भी कहा कि अगर जनसुराज एनडीए और महागठबंधन दोनों से 10-10 प्रतिशत वोट भी काटने में सफल रहता है, तो सरकार बनाने का फॉर्मूला तैयार हो जाएगा। उन्होंने कहा, “लोग हमें ‘वोटकटवा’ कहते हैं, लेकिन हम इस टैग से खुश हैं, क्योंकि हम वही वोट काट रहे हैं जो बिहार की तक़दीर बदलेगा।”
PK ने साफ कहा कि बिहार की राजनीति दो ध्रुवों में बंटी रही है, एक ओर एनडीए और दूसरी ओर महागठबंधन लेकिन अब जनता तीसरे विकल्प के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा, “बिहार में बड़ा बदलाव आने वाला है। जनता थक चुकी है पुरानी पार्टियों की जुगलबंदी से। अबकी बार बदलाव का मूड साफ है।”
प्रशांत किशोर ने महागठबंधन और एनडीए दोनों पर निशाना साधते हुए कहा कि इन दोनों गठबंधनों की सोच सीमित है। महागठबंधन का वोट टारगेट हमेशा 35 प्रतिशत के आसपास रहता है, जबकि बाकी वोट एनडीए को मिलते हैं। यानी बिहार का एक बड़ा तबका अभी भी बिना प्रतिनिधित्व के है। वही तबका अब जनसुराज के साथ है। उन्होंने कहा कि जनसुराज का लक्ष्य हर वर्ग और हर पंचायत तक पहुंचना है, न कि सिर्फ सत्ता में बैठना।
PK ने चिराग पासवान की तारीफ करते हुए कहा कि वह जाति की राजनीति नहीं करते हैं, लेकिन उनकी सबसे बड़ी समस्या यह है कि वो बिहार से चुनाव लड़ते हैं, बिहार का चुनाव नहीं लड़ते। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता एलजेपी को कितनी सीटें मिलेंगी, लेकिन जिन सीटों पर चिराग लड़ेंगे, जनसुराज पूरी तैयारी के साथ उनके सामने खड़ा रहेगा।
प्रशांत किशोर के इस बयान से बिहार की राजनीति में नई हलचल मच गई है। एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए जनसुराज अब एक साइलेंट चैलेंजर के रूप में उभर रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर जनसुराज वाकई 10 से 12 प्रतिशत वोट खींचने में कामयाब होता है, तो यह नतीजों पर निर्णायक असर डाल सकता है।
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