
Tej Pratap Yadav love affair: बिहार की राजनीति के 'कृष्ण' यानी तेज प्रताप यादव एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह कोई चुनावी सभा या किसान आंदोलन नहीं, बल्कि उनका 12 साल पुराना प्रेम-प्रसंग है। सोशल मीडिया पर तेज प्रताप ने अपनी 'अनुष्का यादव' के साथ रिश्ते का खुलासा कर सबको चौंका दिया। मामला इतना बढ़ा कि खुद लालू यादव ने उन्हें परिवार से बाहर कर दिया। और यहीं से खुलती है तेज प्रताप यादव की उन बयानों की पोटली, जिनसे बिहार की राजनीति अक्सर थर्रा उठी है।
तेज प्रताप यादव अपने राजनीतिक करियर में विवादास्पद बयानों के चलते कई बार चर्चा में आ चुके हैं। आइए डालते हैं नज़र उनके कुछ प्रमुख बयानों और घटनाओं पर—
फरवरी 2020 में CAA और NRC के विरोध में रैली के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को ‘कुमारी’ कह डाला। यह बयान महिलाओं के प्रति अपमानजनक माना गया।
नवंबर 2017 में एक रैली के दौरान उन्होंने कहा था – "नरेंद्र मोदी जी का खाल उधेड़वा देंगे।" इस बयान ने राष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी थी।
अक्टूबर 2016 में भाजपा नेता सुशील मोदी के बेटे पर निजी टिप्पणी करते हुए उन्हें 'नपुंसक' कहा था, जिससे राजनीतिक गरिमा पर सवाल उठे।
जुलाई 2019 में अपने ही भाई तेजस्वी यादव को लेकर कहा था – "जो हमारे बारे में बोलेगा, उस पर चक्र चलेगा और चीर देंगे।" इसने लालू परिवार की दरारों को सार्वजनिक कर दिया।
उसी साल पार्टी स्थापना दिवस पर तेज प्रताप ने कहा था – "हम खून का एक-एक कतरा लगा देंगे, लेकिन लालू जी को जेल से छुड़ाकर रहेंगे।"
मई 2025 में तेज प्रताप ने अपने फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट किया जिसमें उन्होंने अनुष्का यादव से 12 साल पुराने रिश्ते को स्वीकारा। उन्होंने लिखा कि यह रिश्ता किसी से छिपा नहीं है और वह अब इस पर पर्दा नहीं डाल सकते।
पोस्ट के कुछ घंटे बाद ही तेज प्रताप ने दावा किया कि उनका फेसबुक अकाउंट हैक कर लिया गया था और यह पोस्ट उन्होंने नहीं किया।
तेज प्रताप के बयानों और सोशल मीडिया पर खुलासे से लालू यादव नाराज़ हो गए और उन्हें परिवार व पार्टी से बाहर कर दिया। तेजस्वी यादव और रोहिणी आचार्य ने भी इस कदम का समर्थन किया।
तेज प्रताप यादव का राजनीतिक सफर हमेशा ही विवादों से घिरा रहा है। कभी 'कृष्ण' अवतार में, तो कभी बागी नेता की छवि में सामने आने वाले तेज प्रताप अब पार्टी और परिवार दोनों से अलग हैं। क्या यह उनके राजनीतिक करियर का अंत है, या वह नई राह तलाशेंगे, यह देखने वाली बात होगी।
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