
बिहार की जनता ने बता दिया है कि अबकी बार फिर नीतीश सरकार। सुबह जारी चुनाव आयोग की मतगणना के करीब करीब सभी परिणाम आ गए हैं। बीजेपी बिहार विधानसभा चुनाव में नंबर-1 की पार्टी बनकर उभरी है। वहीं एनडीए की सहयोगी सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू दूसरे नंबर पर है। लेकिन सबसे बुरे हालात लालू के के दोनों लालों का है। ना तो उनकी पार्टी कुछ खास कमाल कर पाई और ना ही अभी तक आए रूझानों में वह खुद...तेजस्वी यादव से लेकर तेजप्रताप तक अपनी अपनी विधानसभा सीट पर पीछे चल रहे हैं।
दरअसल, बिहार के राधोपुर विधानसभा से चुनाव लड़ रहे पूर्व डिप्टी सीएम और विपक्षी नेता तेजस्वी यादव पीछे से चल रहे हैं। बीजेपी के सतीश कुमार से उनका कड़ा मुकाबला हो रहा है। तेजस्वी यहां 343 वोटों से पीछे हैं। हालांकि अभी 7 राउंड की गिनती पूरी हुई है, 23 राउंड बाकी हैं।
वहीं लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप भी काफी पीछे चल रही हैं। उनकी पार्टी का कोई भी कैंडिडेट जीतता नहीं दिख रहा है। राजद के मुकेश कुमार रौशन तेज प्रताप से 20,188 वोटों से आगे हैं। हालांकि अभी 8 राउंड की गिनती पूरी हुई है। 18 राउंड बाकी हैं।
अब सवाल यह है कि नीतीश कुमार और बीजेपी को बराबरी की टक्कर का दावा करने वाले तेजस्वी यादव आखिर क्यों धराशयी हो गए। वह कौनसी गलती कर गए जो पार्टी को बहुमत नहीं दिला सके। हालांकि सियासी जानकारों ने एक नहीं आरजेडी की इस दुर्गति के कई कारण बताए हैं। जिससे खुद तेजस्वी और उनकी पार्टी के ऐसे हालत बन गए।
1. तेजस्वी यादव का गलत कैंडिडेट को टिकट देना
2. तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी पर यादव और मुसलमानों के प्रति ज्यादा झुकाव
3. अपने पिता लालू यादव की छवि को बेहतर तरीके पेश नहीं कर पाए तेजस्वी
4. पारिवारिक विवाद, तेजप्रताप का अलग होना भी पार्टी पर असर डालता है।
5.सहयोगी पार्टी छोटे-छोटे दल को बराबर का हक नहीं देना।
कभी बिहार में लालू प्रसाद यादव के परिवार और उनकी आरजेडी पार्टी का सिक्क चलता था। पटना से लेकर दिल्ली तक उनका तू-तू बोलती थी। कभी लालू ने भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन ऐसे भी आएंगे। लेकिन जनता सब जानती है। पल भर में राजा से रंक और रंक से राजा बना देती है। अब सबसे बड़ा सवाल है कि डिप्टी सीएम रहे लालू के लाल तेजस्वी यादव अब बिहार में क्या करेंगे। उनकी आगे क्या भूमिका होगी। क्या फिर वह विपक्ष के नेता बनेंगे। या फिर दिल्ली का रूख करेंगे। वहीं लालू के दूसरे लाल यानि तेजप्रताप की परेशानी तो इससे ज्यादा हैं। ना तो वह जीतते दिख रहे हैं और ना ही उनकी पार्टी का खाता खुल रहा है। क्या अब तेज प्रताप सबकुछ भूलकर फिर अपने परिवार के पास आएंगे।
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