
Chhattisgarh Flood: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सोमवार को दंतेवाड़ा जिला कार्यालय के डंकनी सभाकक्ष में बाढ़, आपदा एवं राहत कार्यों की समीक्षा की। बैठक में दंतेवाड़ा के अलावा बस्तर संभाग के सुकमा, बीजापुर और बस्तर जिलों के कलेक्टर व सीनियर अधिकारी मौजूद थे। इसके साथ ही राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री टंकराम वर्मा, वन मंत्री एवं जिला के प्रभारी मंत्री केदार कश्यप, बस्तर सांसद महेश कश्यप, विधायक चैतराम अटामी और जिला पंचायत अध्यक्ष नंदलाल मुड़ामी भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री 26 और 27 अगस्त को हुई भारी बारिश के चलते हुए नुकसान की जानकारी ली। उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि कितना राहत कार्य हुआ। CM ने अधिकारियों से कहा कि इस प्राकृतिक आपदा के दौरान प्रशासनिक अमलों द्वारा तुरंत कार्रवाई की गई। यह सराहनीय है। प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों ने बताया है कि वे प्रशासन के तुरंत काम करने से संतुष्ट हैं।
उन्होंने कहा कि बीते माह आई इस प्राकृतिक आपदा से जो जन-धन और इंफ्रास्ट्रक्चर की क्षति हुई है, वह अपूरणीय है। संतोष की बात है कि जिला प्रशासन ने तुरंत राहत एवं बचाव कार्य किए। शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने एक दिन का वेतन दान स्वरूप दिया। बाढ़ से चारों जिलों में 115 करोड़ रुपए की विभिन्न इंफ्रास्ट्रक्चर को क्षति हुई है। इनकी मरम्मत के लिए सरकार हर संभव सहयोग करेगी। मुख्यमंत्री ने गैर-शासकीय एवं स्वैच्छिक संगठनों के कार्यों की भी सराहना की।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि चारों जिलों में स्थिति सामान्य होने तक राहत कार्य चलाया जाए। स्वास्थ्य शिविर आवश्यकतानुसार जारी रखा जाए। प्रशासन प्रभावितों के संपर्क में रहे और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सतत जारी रखे। इसके लिए लगातार कैंप लगाकर ग्रामीणों की स्वास्थ्य जांच की जाए। उन्हें आवश्यक दवाएं और स्वास्थ्य सेवाएं तत्काल उपलब्ध कराई जाएं। सीएम ने सभी कलेक्टरों को राहत राशि बिना देरी के जारी करने को कहा।
बैठक में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात बाधित न होने पाए। इसके लिए कार्यपालन अभियंता तत्काल प्रस्ताव केंद्रीय कार्यालय को भेजें। केशकाल में राष्ट्रीय राजमार्ग के सुधार के लिए तुरंत कार्रवाई की जाए।
सचिव आपदा प्रबंधन रीना बाबा साहेब कंगाले ने पशु-हानि पर दी जाने वाली मुआवजे की राशि के लिए नए निर्देशों के अनुसार आवंटन देने के लिए कलेक्टरों को निर्देश दिया। स्वास्थ्य विभाग की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार डोर-टू-डोर सर्वे कराया जाए। स्वास्थ्य अधिकारी तय करें कि इन क्षेत्रों में मलेरिया, टाइफाइड एवं जलजनित रोग पनपने न पाएं। उन्होंने पेयजल के सभी स्रोतों में क्लोरीनेशन कराने और उसका परीक्षण करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए।
इससे पहले दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर और बस्तर जिलों के कलेक्टरों ने निर्धारित एजेंडा अनुसार बाढ़ से हुई क्षति और जिला प्रशासन द्वारा चलाए गए राहत कार्यों की जानकारी दी। बैठक में भारी बारिश से प्रभावित गांव, क्षतिग्रस्त पुल-पुलियों, सड़कों, बाधित विद्युत आपूर्ति एवं मोबाइल नेटवर्क की स्थिति पेश की। इसके साथ ही जन-धन हानि, बाढ़ में बह गए घरों एवं मवेशियों के बारे में आंकड़े पीपीटी के माध्यम से शेयर किए।
जिला प्रशासन द्वारा चलाए गए राहत एवं बचाव कार्य, प्रभावितों का रेस्क्यू कर उन्हें राहत कैंपों में ठहराना, तुरंत इलाज उपलब्ध कराना और भोजन बांटे जाने की जानकारी दी गई। बताया गया कि सबसे अधिक क्षति नदी-नालों के किनारे स्थित गांव के लोगों को हुई है। उन्हें समय पर प्रशासनिक राहत उपलब्ध कराई गई।
बैठक में बस्तर संभाग के संभागायुक्त डोमन सिंह, आईजी बस्तर सुंदरराज पी, दंतेवाड़ा कलेक्टर कुणाल दुदावत, सुकमा कलेक्टर देवेश ध्रुव, बीजापुर कलेक्टर संबित मिश्रा, जिला पंचायत बस्तर के सीईओ प्रतीक जैन सहित एसपी एवं जिला स्तर के अधिकारी मौजूद थे।
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