
Mahtari Vandan Scheme Controversy: छत्तीसगढ़ की महिला-केंद्रित योजना, महतारी वंदन योजना, को शुरू करते समय बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ प्रचार किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 में रायपुर से इस योजना का शुभारंभ किया था। इस योजना के तहत 21 साल और उससे ऊपर की महिलाओं को हर महीने 1,000 रुपये मिलते हैं।
शुरुआत में 70 लाख से ज्यादा महिलाओं को लाभ मिला और राज्य में यह महिला सशक्तिकरण की बड़ी पहल के रूप में देखी जा रही थी। लेकिन हाल ही में, सरकारी आंकड़ों में सामने आया कि 20वीं किस्त के दौरान केवल 64.94 लाख महिलाओं को ही यह राशि मिली। यानी लगभग पांच लाख महिलाओं को योजना से बाहर रखा गया। इस अचानक कमी ने कांग्रेस समेत विपक्षी दलों का ध्यान खींचा और उन्होंने इसे सरकार पर महिला मतदाताओं के साथ विश्वासघात का आरोप लगाते हुए सवाल उठाया है।
कई लाभार्थियों ने भी इसकी पुष्टि की है। रायपुर की संगीता दुबे ने कहा कि पहले हर महीने समय पर पैसा आता था, लेकिन इस बार कुछ नहीं मिला। धमतरी की रेणु कुमारी और बिलासपुर की मोमिना खातून जैसी महिलाओं ने बताया कि उनके भुगतान में महीनों से देरी हो रही है। इससे यह सवाल उठता है कि आखिर इस योजना में इतनी बड़ी संख्या में महिलाएं क्यों गायब हुईं।
महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा कि यह सत्यापन और डेटा सुधार का परिणाम है। उन्होंने बताया कि लगभग 64,858 महिलाएँ अब इस दुनिया में नहीं हैं, 707 ने स्वेच्छा से बाहर होने का विकल्प चुना और 40,728 डुप्लिकेट प्रविष्टियाँ हटाई गईं। लगभग 4 लाख महिलाओं का बैंक ई-केवाईसी लंबित है, जिसे पूरा करने के बाद भुगतान फिर से शुरू होगा। राजवाड़े ने यह भी स्पष्ट किया कि योजना के बजट या उद्देश्य में कोई कटौती नहीं हुई है और नए लाभार्थियों को शामिल करने के लिए पोर्टल जल्द ही फिर से खुल जाएगा।
आलोचकों का कहना है कि सरकार द्वारा बताई गई "सत्यापन प्रक्रिया" वास्तव में लाभार्थियों को दंडित करने की वजह बन रही है। संगीता और मोमिना जैसी महिलाओं के लिए समस्या राजनीति की नहीं, बल्कि भरोसे का नुकसान है। अगर चुनाव के समय पैसा सीधे खातों में भेजा जा सकता था, तो आज क्यों नहीं, यह सवाल हर लाभार्थी के दिमाग में है।
छत्तीसगढ़ की पांच लाख महिलाएं महतारी वंदन योजना की सूची से कहां चली गईं? क्या सरकार सचमुच पारदर्शिता सुनिश्चित कर रही है या यह एक राजनीतिक बहिष्कार है? त्योहारों के मौसम में यह अनुत्तरित सवाल लाखों महिलाओं के मन में रह गया है।
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