
Kerala Nuns Bail: केरल की दो ननों (कन्नूर के थालास्सेरी निवासी सिस्टर वंदना फ्रांसिस और अंगमाली के इलावुर निवासी सिस्टर प्रीति मैरी) को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की एनआईए कोर्ट ने सशर्त जमानत दी है। दोनों पर मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण का आरोप लगा है। वे 9 दिन जेल में रहीं। शनिवार को जस्टिस सिराजुद्दीन कुरैशी ने दोनों को राहत दी।
असीसी सिस्टर्स के धार्मिक समुदाय की दोनों नन को दुर्ग में गिरफ्तारी किया गया था। वे नौ दिनों से जेल में थीं। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की शिकायत पर उन्हें दुर्ग रेलवे स्टेशन पर हिरासत में लिया था। उन पर मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण के आरोप लगे हैं।
कोर्ट ने दोनों नन को सशर्त जमानत दिया है। उन्हें 50-50 हजार रुपए का जमानत बांड भरना होगा। अपने पासपोर्ट अदालत में जमा कराने होंगे। विदेश नहीं जा सकतीं। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष का विरोध मुख्यतः तकनीकी था। अभियोजक ने स्वीकार किया कि जांच अभी शुरुआती चरण में है और जमानत की दलीलों का पूरी तरह से विरोध नहीं कर रहा है। वकील गोपा कुमार ने बताया, "मानव तस्करी का मामला BNS की धारा 143 के तहत दर्ज किया गया था। हमने दलील दी कि यह धारा इस मामले में लागू नहीं हो सकती। इसलिए कोर्ट ने जमानत दे दी है। वे भारत से बाहर नहीं जा सकतीं और 50-50 हजार रुपए का जमानत बांड भरना होगा।"
कोर्ट में दोनों नन की ओर से सीनियर वकील अमृतो दास पेश हुए। उन्होंने कहा कि ये आरोप अदालत में टिक नहीं पाएंगे। मामले के केंद्र में रहने वाली युवती ने 5 साल की उम्र में धर्म परिवर्तन कर लिया था। उसके पास वैध रोजगार के दस्तावेज थे, जिससे आरोप निराधार साबित होते हैं। उम्मीद है कि ननों को जेल से शनिवार को रिहा किया जाए। बता दें कि ननों के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर है। अगर उन्हें दोषी पाया जाता है तो 10 साल जेल की सजा हो सकती है।
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