Delhi riots case 2020: अभी जेल में ही रहेंगे उमर खालिद-शरजील इमाम, बची बस एक उम्मीद

Published : Sep 02, 2025, 04:56 PM IST
Umar Khalid

सार

2020 में CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बीच दिल्ली को हिंसा की आग में जलाने के मामले में आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम और सात अन्य को हाईकोर्ट ने जमानत नहीं दी है। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।

2020 Delhi riots case: 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने JNU (Jawaharlal Nehru University) के पूर्व छात्रों उमर खालिद, शरजील इमाम और सात अन्य को जमानत देने से इनकार कर दिया। अब इनके पास सुप्रीम कोर्ट जाने और वहां से राहत पाने की उम्मीद ही बची है।

दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे आरोपी

जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शैलिंदर कौर की पीठ ने मामले की सुनवाई की। बेंच ने खालिद और इमाम के अलावा, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, शादाब अहमद अब्दुल खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिकाएं भी खारिज कर दीं। इमाम और खालिद की जमानत याचिकाएं 2022 से लंबित हैं। इन कार्यकर्ताओं की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील ने कहा कि फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।

CAA को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई थी हिंसा, मारे गए थे 50 लोग

इससे पहले इसी मामले में हाईकोर्ट की दूसरी बेंच ने अन्य आरोपी तसलीम अहमद की जमानत याचिका खारिज की थी। फरवरी 2020 में CAA (Citizenship Amendment Act) को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। इसके चलते 50 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे। इमाम और खालिद पर हिंसा से जुड़ी बड़ी साजिश का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया था।

खालिद, इमाम और अन्य को दिल्ली पुलिस ने बताया हिंसा के मास्टरमाइंड

दिल्ली पुलिस ने खालिद, इमाम और अन्य लोगों पर हिंसा के "मास्टरमाइंड" होने का आरोप लगाया है। इनपर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए हैं। खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद से वह जेल में बंद है। पिछले साल दिसंबर में उसे अपने परिवार में हो रही शादी में शामिल होने के लिए 7 दिन की अंतरिम जमानत मिली थी।

तुषार मेहता बोले-देश के खिलाफ कुछ करते हैं तो जेल में रहें

सुनवाई के दौरान आरोपियों की ओर से कहा गया कि वे पहले ही चार साल से ज्यादा समय से जेल में बंद हैं। मामले में ट्रायल बहुत सुस्त गति से चल रहा है। इसलिए जमानत चाहिए। हालांकि, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उनकी जमानत का विरोध करते हुए तर्क दिया कि दंगों की योजना भयावह उद्देश्य के साथ बनाई गई थी। यह एक "सुविचारित साजिश" थी। यह दुनिया में भारत को बदनाम करने की साजिश है। उन्होंने कहा, "अगर आप अपने देश के खिलाफ कुछ भी करते हैं तो बेहतर होगा कि बरी होने तक जेल में रहें।"

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