दिल्ली की झुग्गियों का दर्द: पानी और शौचालय अब भी सपना?

Published : Jan 21, 2025, 12:29 PM IST
दिल्ली की झुग्गियों का दर्द: पानी और शौचालय अब भी सपना?

सार

दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। स्वच्छ पानी और शौचालय जैसी ज़रूरतें अब भी इनके लिए एक सपना हैं। चुनाव आते ही नेता वादे करते हैं, लेकिन बाद में भूल जाते हैं।

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में कई झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों के निवासियों के लिए स्वच्छ पानी और शौचालय आज भी एक दूर का सपना है। अधिकारी समय-समय पर वादे करते रहते हैं, लेकिन अब तक लोगों के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने में असफल रहे हैं। चुनाव नजदीक आने पर ही राजनेता वोट मांगने इन इलाकों में आते हैं। वोट मांगने के बाद कई लुभावने वादे भी करते हैं। लेकिन अब तक किए गए वादे पूरे नहीं हुए हैं।

स्वच्छ पानी लोगों की मुख्य समस्या है। कभी-कभार पानी का टैंकर आता है तो बाल्टियाँ भरने के लिए लोगों में झगड़ा होता है। गंदी गलियां अगली समस्या है।

जहाँ भी जाएं, खुले नाले और कूड़े के ढेर झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों में आम हैं। पानी का टैंकर आने पर पूरी सड़क पर पानी लीक होकर कीचड़ बन जाता है। अक्सर लोग सड़क पर फिसलकर गिर जाते हैं और घायल हो जाते हैं। शौचालय के कचरे के निपटान के लिए उचित व्यवस्था न होने से बड़ी समस्याएँ पैदा हो रही हैं। लगभग दो साल से सरकार द्वारा बनाए गए सार्वजनिक शौचालय काम नहीं कर रहे हैं। इससे लोगों को अपने घरों में छोटे-छोटे शौचालय बनाने पड़ रहे हैं। बारिश के मौसम में नाले भर जाते हैं और घरों में पानी घुस जाता है। दिल्ली की हर झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग इस तरह की कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

5 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव है। 8 फरवरी को चुनाव परिणाम भी आएंगे। झुग्गीवासियों का कहना है कि हम एक बाल्टी पानी के लिए, वह भी गंदा पानी, घंटों लंबी कतार में खड़े होकर वोट देते हैं। हम सालों से मुश्किलों में जी रहे हैं।

पिंकी कपिलो नाम की एक निवासी 5 साल की उम्र में हरियाणा से दिल्ली आई थीं। आज वह 3 बच्चों की माँ हैं। उनका कहना है कि इस दौरान वहां मामूली बदलाव ही हुए हैं।

"पहले शौचालय नहीं थे। उस समय सरकार सार्वजनिक शौचालय उपलब्ध कराती थी। वह भी कभी-कभार ही साफ किया जाता था। बाद में हमने अपने घरों में छोटे-छोटे शौचालय बनाए। लेकिन शौचालय के कचरे के निपटान की कोई उचित व्यवस्था नहीं थी। आखिरकार हमने घरों के पीछे छोटे-छोटे गड्ढे बनाए ताकि शौचालय का कचरा निकल सके। लेकिन यह बिल्कुल भी साफ-सुथरा नहीं है। लेकिन हमारे पास कोई और चारा नहीं है।"- पिंकी ने कहा।

मजदूरी करके हर दिन मुश्किल से गुजारा करने वाले ये लोग उम्मीद कर रहे हैं कि अधिकारी अब तो कम से कम बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराएंगे।

निवासियों का कहना है कि दिन में दो बार खाना खाकर भी जी सकते हैं, लेकिन बिना साफ पानी के, बिना पर्याप्त शौचालय के कैसे जी सकते हैं।

बीच-बीच में राजनेता जगह का दौरा करते थे और कहते थे कि जरूरत की पाइपलाइन और नल लगा देंगे। कुछ दिनों बाद कुछ मजदूर आए और पाइप लगाने का काम शुरू किया। फिर उसे अधूरा छोड़कर चले गए।

ये लोग पानी, स्वच्छता और सुरक्षा के लिए हर दिन संघर्ष कर रहे हैं। दिल्ली की हर झुग्गी-झोपड़ी के निवासी इस उम्मीद में हैं कि अब तो किए गए वादे पूरे होंगे।

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