
Delhi High Court Alimony Case: तलाक के मामलों में पत्नी को मिलने वाले गुजारा भत्ते पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। पति की बढ़ी हुई कमाई और महंगाई को देखते हुए गुजारा भत्ता बढ़ाया जा सकता है, ऐसा दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा की बेंच ने कहा। यह फैसला ६० साल की एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को आया। अप्रैल १९९० में याचिकाकर्ता महिला की शादी हुई थी। लेकिन शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना और दहेज उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए दो साल बाद ही वो अलग हो गईं।
2012 में परिवार अदालत ने महिला के पति को हर महीने 10,000 रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। 2018 में, महिला ने गुजारा भत्ता बढ़ाने की मांग की, क्योंकि उसके पति को प्रमोशन मिलने से तनख्वाह बढ़ गई थी। पति 2017 में रिटायर हो गए थे, लेकिन दो साल तक उन्होंने काम जारी रखा। महिला ने कोर्ट को बताया कि उनके पिता, जो आर्थिक मदद करते थे, उनका निधन हो गया है और उन्हें काफी इलाज करवाना पड़ रहा है। लेकिन पिछले साल सितंबर में परिवार अदालत ने उनकी अर्जी खारिज कर दी।
महिला के बैंक बैलेंस और एफडी को देखते हुए परिवार अदालत ने अर्जी खारिज कर दी थी। इसके खिलाफ महिला ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। महिला ने कहा कि 2012 में पति की 28000 रुपये की कमाई के आधार पर गुजारा भत्ता तय हुआ था। लेकिन जब यह आदेश आया, तब तक कमाई 40,000 रुपये हो चुकी थी। कोर्ट ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया। 60 वर्षीय पति ने दलील दी कि 2017 में रिटायर होने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है। जस्टिस शर्मा ने परिवार अदालत के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि कोर्ट ने इस बात पर गौर नहीं किया कि 2012 में जिस कमाई के आधार पर गुजारा भत्ता तय हुआ था, वो पति की मौजूदा पेंशन से भी कम है।
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