
Pahalgam Terror Attack: फ्लोरिडा (अमेरिका) में टीसीएस (TCS) के लिए काम कर रहे 40 वर्षीय बितान अधिकारी अपनी पत्नी सोहिनी और तीन साल के बेटे के साथ कुछ दिन पहले भारत लौटे थे। 8 अप्रैल को कोलकाता पहुंचे बितान अपने परिवार संग कश्मीर की वादियों में छुट्टियां मनाने निकले थे। गुरुवार को उनकी अमेरिका वापसी की फ्लाइट थी, लेकिन उससे एक दिन पहले ही उनकी किस्मत ने एक दर्दनाक मोड़ ले लिया।
बितान अधिकारी ने यात्रा से पहले अपने पिता को भी साथ चलने के लिए कहा था, लेकिन उनके पिता ने उन्हें बहू और पोते के साथ जाने की सलाह दी। बेटे को विदा करने के कुछ ही दिन बाद, उनके घर ये मनहूस खबर आई कि बितान पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले का शिकार हो गए।
मंगलवार दोपहर करीब 2:45 बजे, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में स्थित बैसारन घाटी में पर्यटकों की एक टुकड़ी पर आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी। इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई, जिनमें एक विदेशी इजरायली नागरिक, एक इटली निवासी और बितान अधिकारी भी शामिल थे। बितान की पत्नी और उनका तीन साल का बेटा किसी चमत्कार से बच गए।
बितान के बुजुर्ग पिता ने कहा, "वो चाहता था कि हम सब साथ चलें… लेकिन मैंने मना कर दिया। आज दोपहर ही उससे बात हुई थी, फिर… ये सब कैसे हो गया?" बितान के भाई ने भावुक होकर कहा, "हमने प्लान किया था कि वो लौटेगा तो एक साथ लंबी छुट्टी पर जाएंगे। ये नहीं सोचा था कि वो आखिरी कॉल था।"
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बितान की पत्नी से बात कर सांत्वना दी और आश्वासन दिया कि राज्य सरकार हर जरूरी मदद कर रही है। ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "शब्द इस दुख को कम नहीं कर सकते, लेकिन हम परिवार के साथ हैं।"
राज्य मंत्री अरूप बिस्वास ने बितान के परिवार से उनके कोलकाता स्थित घर पर मुलाकात की। उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय और जम्मू-कश्मीर प्रशासन के संपर्क में रहकर पार्थिव शरीर को जल्द से जल्द लाने की प्रक्रिया चल रही है।
इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब की यात्रा बीच में छोड़कर लौट आए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी श्रीनगर पहुंच गए हैं और वहां की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा कर रहे हैं। पहलगाम और आसपास के इलाके में सेना और सीआरपीएफ का सर्च ऑपरेशन तेज़ कर दिया गया है।
इस आतंकी हमले ने घाटी की सुंदरता और पर्यटन की रफ्तार पर गहरा असर डाला है। देशभर से आए पर्यटक भयभीत हैं और उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला जा रहा है। पहलगाम अब सिर्फ एक खूबसूरत जगह नहीं, एक दर्दनाक स्मृति बन गया है, जहां कई परिवारों के सपने और खुशियाँ बिखर गईं।
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