
Yamuna Cleaning: दिल्ली में यमुना (Yamuna) नदी की सफाई को लेकर बड़े स्तर पर अभियान शुरू कर दिया गया है। ट्रैश स्किमर्स, वीड हार्वेस्टर्स और ड्रेज यूटिलिटी यूनिट्स की मदद से सफाई कार्य तेज़ी से किया जा रहा है। यह अभियान दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना (VK Saxena) और मुख्य सचिव के बीच हुई बैठक के बाद शुरू किया गया, जिसमें यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया गया।
एलजी कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि यमुना की सफाई के लिए चार-लेवल की रणनीति अपनाई गई है। इसके तहत...
यमुना सफाई अभियाान की निगरानी हाईलेवल कमेटी करेगी और वीकली इसका रिव्यू किया जाएगा। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) को निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी औद्योगिक इकाई से बिना ट्रीटमेंट के गंदा पानी नालों में नहीं बहने दिया जाए।
एलजी कार्यालय के अनुसार, इस तीन वर्षीय परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय आवश्यक होगा। इस अभियान में दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Jal Board), सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग (I&FC), दिल्ली नगर निगम (MCD), पर्यावरण विभाग, लोक निर्माण विभाग (PWD) और दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) शामिल हैं।
यमुना की सफाई दिल्ली विधानसभा चुनावों (Delhi Assembly Elections) के दौरान एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा रहा। चुनाव प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने आरोप लगाया था कि हरियाणा सरकार यमुना में "जहर" मिला रही है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भी अपने चुनावी भाषणों में यमुना की सफाई को दिल्ली की पहचान बनाने का संकल्प लिया था।
बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा (Harsh Malhotra) ने 13 फरवरी को कहा कि पार्टी ने दिल्ली में आयुष्मान भारत (Ayushman Bharat) योजना लागू करने के साथ-साथ यमुना की सफाई को प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा: हम यमुना सफाई अभियान को तय समय-सीमा के भीतर पूरा करेंगे और कूड़े के पहाड़ों को ज़ीरो ग्राउंड तक ले आएंगे।
यमुना की सफाई को मिशन मोड में लाने के लिए जनवरी 2023 में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना की अध्यक्षता में एक हाईलेवल कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी का उद्देश्य यमुना के प्रदूषण पर नियंत्रण रखना और सफाई अभियान को प्रभावी बनाना था। समिति की पांच बैठकों के बाद, तत्कालीन अरविंद केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और NGT के उस आदेश को चुनौती दी जिसमें एलजी को समिति का अध्यक्ष बनाया गया था।
भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने NGT के आदेश पर रोक लगा दी जिससे यमुना सफाई अभियान कुछ समय के लिए ठप हो गया। हालांकि, इस साल की शुरुआत में जब दिल्ली में प्रदूषण स्तर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया तो केंद्र सरकार ने इस अभियान को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया।
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