गृह मंत्री अमित शाह और CM भूपेंद्र पटेल ने किया दुनिया की पहली सहकारी यूनिवर्सिटी का शिलान्यास

Published : Jul 05, 2025, 07:30 PM IST
Amit Shah CM Bhupendra Patel lay foundation stone of Tribhuvan Cooperative University in Anand Gujarat

सार

अमित शाह और भूपेंद्र पटेल ने आणंद में त्रिभुवन सहकारिता यूनिवर्सिटी की नींव रखी। यह यूनिवर्सिटी सहकारिता क्षेत्र में कुशल मानव संसाधन तैयार करेगी और नए युग की शुरुआत करेगी।

गांधीनगर, 05 जुलाई। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह और गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने शनिवार को शिक्षा नगरी आणंद में दुनिया की पहली सहकारी यूनिवर्सिटी त्रिभुवन सहकारिता यूनिवर्सिटी का शिलान्यास किया। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा वर्तमान बजट में इसकी घोषणा करने के बाद केवल चार महीने में ही यह महत्वाकांक्षी शैक्षणिक संस्थान कार्यान्वित होने जा रहा है।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में सहकारी गतिविधियों का दायरा बढ़ने वाला है। सहकारी आधार पर टैक्सी और बीमा सेवा शुरू करने के आयोजन के बीच इस क्षेत्र के लिए आवश्यक कुशल मानव संसाधन इस यूनिवर्सिटी से उपलब्ध होगा।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने गुजरात में त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के शिलान्यास अवसर पर सहकारी क्षेत्र के उज्ज्वल भविष्य और इसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना गरीब और ग्रामीण लोगों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। इस मंत्रालय ने देश भर के 16 अग्रणी सहकारी नेताओं के साथ बैठकें कर उनके विचार जाने गए थे। सहकारी क्षेत्र के विकास में रही कमियों की पहचान कर इसके विकास के लिए 60 नई पहलें की गई हैं। सहकारी गतिविधियों को व्यापक बनाने के लिए लागू की गईं ये सात पहलें इस क्षेत्र को पारदर्शी, लोकतांत्रिक और सर्वसमावेशी बनाएगी।

उन्होंने जोर देकर कहा कि त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की स्थापना सहकारी क्षेत्र की सभी कमियों को दूर करने की एक पहल है। यह यूनिवर्सिटी 500 करोड़ रुपए की लागत से 125 एकड़ क्षेत्र में आकार लेगी और नीति निर्माण, डेटा विश्लेषण, अनुसंधान और दीर्घकालिक विकास रणनीति बनाने का काम करेगी।

उन्होंने कहा कि देश में 40 लाख कर्मचारी और 80 लाख बोर्ड सदस्य सहकारी गतिविधियों से जुड़े हैं। 30 करोड़ लोग यानी देश का हर चौथा नागरिक सहकारिता आंदोलन का हिस्सा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह यूनिवर्सिटी सहकारी कर्मचारियों और सदस्यों के प्रशिक्षण के लिए सुचारू व्यवस्था के अभाव को दूर करेगी।

श्री शाह ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी केवल प्रशिक्षित कर्मचारी ही नहीं, बल्कि त्रिभुवनदास पटेल जैसे समर्पित सहकारी नेता भी तैयार करेगी। सहकारी क्षेत्र में होने वाली भर्तियों में इस यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त करने वालों को नौकरी मिलेगी। इसके कारण सहकारी संस्थानों की भर्तियों में लगने वाले भाई-भतीजावाद के आरोप खत्म होंगे और पारदर्शिता आएगी। यह यूनिवर्सिटी तकनीकी और एकाउंटेंसी कौशल के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सहकारी संस्कारों की शिक्षा प्रदान करेगी।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने श्री त्रिभुवनदास पटेल के योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने 1946 में खेड़ा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादन संघ की स्थापना की थी, जो आज अमूल ब्रांड के रूप में दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित ब्रांड बन गया है। उन्होंने कहा कि अमूल 36 लाख महिलाओं के माध्यम से 80 हजार करोड़ रुपए का कारोबार करता है। सहकारिता की यह पहल ब्रिटिश शासन के दौरान पोलसन डेयरी द्वारा पशुपालकों के साथ किए जाने वाले अन्याय के खिलाफ एक लड़ाई थी।

उन्होंने कहा कि यह यूनिवर्सिटी सहकारी गतिविधियों को ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा बनाएगी। यह नवाचार, अनुसंधान और प्रशिक्षण को प्रोत्साहन देगी और दो लाख नई सहकारी समितियां बनाने सहित अन्य योजनाओं को धरातल पर उतारेगी। उन्होंने देश भर के सहकारी विशेषज्ञों से इस यूनिवर्सिटी के साथ जुड़कर अपना योगदान देने का आह्वान किया और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इस सर्वसमावेशी कदम पर संतोष व्यक्त किया।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस यूनिवर्सिटी का नाम त्रिभुवनदास पटेल के नाम पर रखना उचित है। केंद्र सरकार ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सहकारी गतिविधियों में उनके योगदान को ध्यान में रखकर यह नामकरण किया है। श्री त्रिभुवनदास पटेल जब अमूल से सेवानिवृत्त हुए, तब 6 लाख महिलाओं ने एक-एक रुपए एकत्र कर उन्हें 6 लाख रुपए की भेंट दी थी। उस भेंट को उन्होंने सेवा गतिविधियों के लिए दान कर दिया था। उन्होंने ही डॉ. वर्गीज कुरियन को उच्च अभ्यास के लिए विदेश भेजा था। श्री शाह ने डॉ. कुरियन के योगदान को भी महत्वपूर्ण बताया।

कार्यक्रम में श्री अमित शाह, श्री भूपेंद्र पटेल सहित अन्य महानुभावों ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (एनसीईआरटी) द्वारा सहकारिता पर तैयार पाठ्यपुस्तक के दो मॉड्यूल का विमोचन किया। श्री शाह ने इस मॉड्यूल की तरह गुजरात के शैक्षिक पाठ्यक्रम में भी सहकारी गतिविधियों को शामिल करने का प्रेरक सुझाव दिया।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा

मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने इस अवसर पर कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के पावन अवसर पर त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के शिलान्यास का ऐतिहासिक समारोह आणंद की धरती पर आयोजित हुआ है, जो भारत के सहकारिता के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह यूनिवर्सिटी देश की पहली सहकारी यूनिवर्सिटी के रूप में सहकारिता के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत करेगी। इस उत्कृष्ट पहल से सहकारी क्षेत्र को शिक्षा, अनुसंधान और नीति निर्माण के स्तर पर मजबूत आधार मिलेगा, जो नए युग की सहकारिता संस्कृति का निर्माण करेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस यूनिवर्सिटी का आरंभ सहकारिता क्षेत्र के प्रेरणास्रोत त्रिभुवनदास पटेल को श्रद्धांजलि है। त्रिभुवनदास पटेल ने 1946 में खेड़ा जिले के दुग्ध उत्पादकों और किसानों को संगठित कर सहकारी आंदोलन की नई दिशा दी थी। उनके दृष्टिकोण से शुरू हुआ यह आंदोलन आज वैश्विक उपक्रम के रूप में विकसित होता नजर आ रहा है। इस ऐतिहासिक भूमिपूजन के साथ देश के सहकारी इतिहास को जीवंत रखने वाली एक नई पीढ़ी तैयार होने जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और देश के पहले सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने पूरी दुनिया के समक्ष भारत के सहकारिता मॉडल को सशक्त तरीके से प्रस्तुत करने का दृष्टिकोण अपनाया है। उनका नेतृत्व केवल सहकारिता क्षेत्र में नीति निर्माण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वे उसके क्रियान्वयन के लिए भी मजबूत कदम उठाते रहे हैं। उन्होंने ‘सहकार से समृद्धि’ मंत्र के साथ सहकारिता क्षेत्र को विकास की मुख्यधारा बना दिया है।

उन्होंने कहा कि केवल चार महीने की रिकॉर्ड गति से यूनिवर्सिटी भवन के शिलान्यास तक पहुंचना मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और कार्यक्षमता का उदाहरण है। गुजरात सरकार ने इस यूनिवर्सिटी के लिए 125 एकड़ जमीन आवंटित की है और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) जैसे सहकारी संस्थानों के तकनीकी सहयोग से यह योजना और अधिक व्यापक होगी। उन्होंने यह भी मंशा व्यक्त की कि भविष्य में यहां से प्रशिक्षित, जानकार और समर्पित युवा नेतृत्व तैयार होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी वैश्विक स्तर पर सहकारिता के अभ्यास, अनुसंधान और नवाचार का केंद्र बनेगी। यहां नई पीढ़ी में क्लाइमेट चेन्ज, डिजिटल इकोनॉमी और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में सहकारी ढांचे के अनुकूल कौशल भी विकसित किया जाएगा। उन्होंने दृढ़ विश्वास व्यक्त किया कि यह यूनिवर्सिटी भारत को विकासशील से विकसित देश बनाने के अभियान में प्रेरक शक्ति बनेगी।

उन्होंने कहा कि यह यूनिवर्सिटी केवल एक शैक्षणिक संस्थान ही नहीं, बल्कि सहकारिता की संस्कृति का जीवंत प्रतिबिंब भी बनेगी और प्रधानमंत्री के मंत्र ‘विकास भी, विरासत भी’ को साकार कर देश के सहकारी मूल्यों को वैश्विक विस्तार देगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भले ही सहकारी क्षेत्र दूसरे देशों के लिए आर्थिक गतिविधि होगा, लेकिन हमारे लिए सहकारी गतिविधि हमारी परंपरा का जीवन दर्शन है। हमारी प्रकृति एक-दूसरे के सहयोग से आगे बढ़ने की है। त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी का शिलान्यास न केवल नई शैक्षणिक गतिविधियों की नींव की स्थापना है, बल्कि यह पूरे देश के सहकारी गतिविधि क्षेत्र को एक नई दृष्टि के साथ नया संकल्प और नई दिशा देने का महत्वपूर्ण माध्यम भी बनेगा।

कार्यक्रम में केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्णपाल गुर्जर और श्री मुरलीधर मोहोल, गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष श्री शंकर चौधरी, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्री ऋषिकेश पटेल, सहकारिता राज्य मंत्री श्री जगदीश विश्वकर्मा, आणंद के सांसद श्री मितेशभाई पटेल, नडियाद के सांसद श्री देवुसिंह चौहान, विधानसभा के उप मुख्य सचेतक श्री रमणभाई सोलंकी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री हसमुखभाई पटेल, आणंद के विधायक सर्वश्री योगेशभाई पटेल, कमलेशभाई पटेल, चिरागभाई पटेल, विपुलभाई पटेल, नडियाद के विधायक श्री पंकजभाई देसाई, सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी, जिला कलेक्टर श्री प्रवीण चौधरी, आणंद मनपा आयुक्त श्री मिलिंद बापना, जिला विकास अधिकारी सुश्री देवाहुति, जिला पुलिस अधीक्षक श्री गौरव जसाणी, त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. जे.एम. व्यास, एनडीडीबी के चेयरमैन श्री मिनेशभाई शाह सहित एनडीडीबी और इरमा के अध्यापक, पदाधिकारी, अधिकारी और बड़ी संख्या में किसान एवं पशुपालक उपस्थित रहे।

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