
Indore Power Consumption: क्या आपने कभी सोचा है कि आपका मोबाइल, जिसे आप दिन में कई बार चार्ज करते हैं, असल में आपके बिजली बिल में चुपचाप इजाफा कर रहा है? "बूंद-बूंद से घड़ा भरता है"—यह कहावत अब इंदौर शहर की बिजली खपत पर भी पूरी तरह सटीक बैठती है। शहर की ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोबाइल चार्जिंग अब इंदौर में बिजली खपत का एक बड़ा हिस्सा बन चुकी है, और ये आंकड़े किसी को भी हैरान कर सकते हैं।
इंदौर में लगभग 30 लाख मोबाइल यूजर्स हैं। हर व्यक्ति औसतन दिन में दो से तीन बार मोबाइल चार्ज करता है। बिजली विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक: एक मोबाइल की चार्जिंग से हर महीने लगभग 1 यूनिट बिजली खर्च होती है। 1 यूनिट बिजली की औसत कीमत करीब ₹7.50 मानी गई है। इस हिसाब से शहर के सभी मोबाइल मिलकर हर महीने करीब ₹2.21 करोड़ की बिजली खर्च कर देते हैं। यानि अकेले मोबाइल चार्जिंग से ही 30 लाख यूनिट से ज़्यादा बिजली की खपत हो रही है—बिना किसी शोर-शराबे के, धीरे-धीरे।
5-7 साल पहले तक मोबाइल चार्जर केवल 6 वॉट बिजली खपत करते थे। अब ये आंकड़ा बढ़कर 60 वॉट तक पहुंच गया है। इसके पीछे कई कारण हैं:
बिजली विभाग के अधिकारियों के अनुसार, अगर 100 वॉट का बल्ब 10 घंटे चले तो वह 1 यूनिट बिजली खर्च करता है। वहीं, अगर एक मोबाइल दिन में 3 बार चार्ज होता है, तो वह भी महीने में 1 यूनिट से अधिक बिजली निगल जाता है। अब कल्पना कीजिए—एक परिवार में अगर 4 लोग हैं और हर कोई दिन में 3 बार चार्जिंग करता है, तो केवल मोबाइल चार्जिंग से ही एक घर में 4 यूनिट से अधिक बिजली खर्च हो जाती है।
इंदौर उत्तर क्षेत्र के कार्यपालन यंत्री विनय प्रताप सिंह के मुताबिक, गर्मियों में मोबाइल चार्जिंग में और अधिक इजाफा देखा गया है। लोग घरों में ही मोबाइल पर ज्यादा वक्त बिता रहे हैं, जिससे चार्जिंग फ्रिक्वेंसी बढ़ गई है और इसके साथ ही बढ़ा है शहर का बिजली लोड भी।
जहां पहले टीवी, कूलर, एसी और पंखे को ही बिजली खपत का जिम्मेदार माना जाता था, अब मोबाइल भी एक नया और खामोश उपभोक्ता बनकर सामने आया है। कम वॉट क्षमता के बावजूद बार-बार उपयोग ने इसे मास खपतकर्ता बना दिया है।