
अहमदाबाद(Gujrat). क्राउड फंडिंग मामले में टीएमसी नेता साकेत गोखले की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। गुजरात हाईकोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता साकेत गोखले को नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया। जस्टिस समीर दवे ने साकेत गोखले से कहा कि वह आरोप पत्र दायर होने के बाद ही अदालत का रुख करें। जस्टिस दवे ने कहा, हम आरोपपत्र दायर होने के बाद ही हम याचिका पर विचार करेंगे।
गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता साकेत गोखले ने हाल ही में गिरफ्तारी और रिमांड की अवधि समाप्त होने के बाद एक सत्र अदालत और अहमदाबाद की एक अदालत द्वारा जमानत देने से इनकार करने के बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वह पांच जनवरी से न्यायिक हिरासत में हैं और अहमदाबाद की एक जेल में बंद हैं।
गोखले पर जानबूझकर कर लगाई गई फर्जी धारा- अधिवक्ता
साकेत गोखले की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता असीम पंड्या ने राहत की मांग करते हुए कोर्ट से कहा कि साकेत गोखले के खिलाफ जालसाजी सहित कई आईपीसी की कड़ी धाराएं जानबूझकर लगाई गई हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें जमानत नहीं मिले। अधिवक्ता ने कहा, 'गोखले द्वारा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए एकत्र किए गए धन में जालसाजी कहीं नहीं थी। वह निर्दोष हैं और उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है। वह क्राउडफंडिंग के जरिए प्राप्त दान पर निर्भर रहने वाले एक पूर्णकालिक कार्यकर्ता हैं।
30 दिसम्बर को क्राइम ब्रांच ने किया था गिरफ्तार
ग़ौरतलब है कि साकेत गोखले को अहमदाबाद साइबर क्राइम ब्रांच ने 30 दिसंबर, 2022 को गिरफ्तार किया था। उन्हें क्राउडफंडिंग के जरिए एकत्र किए गए धन के कथित दुरुपयोग के मामले में दिल्ली से गिरफ्तार किया था। उनपर आईपीसी की धारा 420, 406 और 467 के तहत मामला दर्ज किया गया है। अहमदाबाद के एक शख्स की शिकायत पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसने ऑनलाइन गोखले को 500 रुपये दान करने का दावा किया था।
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