3 फुट की हाइट, 100 फुट का हौसला: आखिर कैसे डॉक्टर बने गुजरात के गणेश बरैया?

Published : Nov 27, 2025, 02:53 PM IST
Ganesh Baraiya 3 Feet Doctor Inspiring Legal Journey

सार

क्या 3 फुट की हाइट किसी को डॉक्टर बनने से रोक सकती है? गुजरात के गणेश बरैया ने MCI के इनकार के बाद हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई जीतकर अपना सपना पूरा किया। उनका सफर हिम्मत, जुनून और न्याय की अनोखी कहानी है। 

अहमदाबाद। गुजरात के छोटे से गांव में रहने वाले गणेश बरैया की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। 3 फुट लंबाई, 20 किलो से कम वजन, 72% चलने-फिरने की अक्षमता…लेकिन सपना डॉक्टर बनने का। क्या यह सपना पूरा हो सकता था? क्या सिस्टम ऐसे व्यक्ति को मेडिकल कॉलेज में एडमिशन देगा? इसी सवाल से गणेश का संघर्ष शुरू हुआ और वहीं से उनकी अद्भुत जंग ने पूरे देश में चर्चा छेड़ दी।

MCI के रिजेक्शन के बावजूद नहीं मानी हार

गणेश बरैया शायद देश के सबसे अनोखे मेडिकल छात्रों में से एक हैं। बौनेपन के कारण उनकी लंबाई सिर्फ तीन फुट है और वजन 20 किलो से थोड़ा कम। साथ ही वे 72 प्रतिशत चलने-फिरने में अक्षमता से भी जूझते हैं। लेकिन उनके सपनों की उड़ान इससे कहीं अधिक ऊंची थी। 2018 में जब गणेश ने MBBS के लिए अप्लाई किया, तो मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) ने उनकी लंबाई और शारीरिक अक्षमता का हवाला देते हुए उन्हें एडमिशन देने से मना कर दिया। MCI का कहना था कि इतनी कम हाइट और विकलांगता डॉक्टर की जिम्मेदारियों में रुकावट बन सकती है। यह फैसला गणेश के दिल पर गहरी चोट था, लेकिन उन्होंने इसे आखिरी फैसला मानने से इनकार कर दिया।

 

 

क्या शारीरिक सीमाएं किसी के सपनों को रोक सकती हैं?

नीलकंठ विद्यापीठ, तलाजा से हाई स्कूल पास करने वाले गणेश ने हार नहीं मानी। उन्होंने गुजरात हाई कोर्ट में केस दाखिल किया। उनके स्कूल प्रिंसिपल डॉ. दलपतभाई कटारिया ने न सिर्फ उनका साथ दिया, बल्कि गरीब किसान परिवार की आर्थिक मदद करते हुए केस की लड़ाई भी लड़ी। लेकिन हाई कोर्ट ने MCI के निर्णय को सही माना। इस फैसले से लड़ाई खत्म नहीं हुई-यहीं से गणेश की असली जंग शुरू हुई।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

गणेश मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गए। करीब चार महीनों बाद SC ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया- “किसी की हाइट मेडिकल एडमिशन का आधार नहीं हो सकती।” इस फैसले ने न सिर्फ गणेश की राह खोली, बल्कि हजारों दिव्यांग छात्रों के लिए उम्मीद की नई किरण जलाई।

कैसे बन पाए डॉक्टर गणेश बरैया?

2019 में उन्हें भावनगर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिला। उन्होंने कड़ी मेहनत के साथ अपनी पढ़ाई पूरी की और इंटर्नशिप खत्म की। आज गणेश उसी जज़्बे के साथ मरीजों का इलाज कर रहे हैं जैसा उन्होंने सपने में देखा था। वे कहते हैं कि “गरीब लोगों का इलाज करना चाहता हूं। वहीं मेरी सबसे ज़्यादा जरूरत है।”

क्या गणेश दुनिया के सबसे छोटे डॉक्टर बन सकते हैं?

हां, वे इस रेस में हैं। लेकिन गणेश के लिए यह सम्मान नहीं, बल्कि सेवा ही असली लक्ष्य है। उनका पूरा सफर यह साबित करता है कि अगर हिम्मत हो, तो शरीर की ऊंचाई नहीं, सपनों की ऊंचाई मायने रखती है।

 

 

गणेश बरैया की कहानी हमें क्या सिखाती है?

यह कहानी सिर्फ एक इंसान का संघर्ष नहीं, बल्कि यह मैसेज है कि:

  • सपने सीमाओं से बड़े होते हैं
  • कानून न्याय दिला सकता है
  • समाज को नजरिया बदलना होगा
  • और हिम्मत-सबसे बड़ी ताकत है

 

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