केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि संविधान के अनुसार हिन्दुओं को मंदिर में पूजा करने का मौलिक अधिकार प्राप्त है। मंदिर में पुजारी बनने का उनके पास कोई अधिकार नहीं है।
केरल। केरल हाईकोर्ट ने हिन्दू मंदिरों को लेकर एक महत्वपूर्ण केस में फैसला सुनाया है। इसमेें हाईकोर्ट ने कहा है कि संविधान के मौलिक अधिकार के तहत हिन्दुओं को मंदिर में प्रवेश करने और वहां पूजा करने का अधिकार मिला हुआ है। लेकिन मंदिर में पुजारी के रूप में होना या पुजारी के पद पर स्थापित होने को लेकर उनका काई संवैधानिक अधिकार नहीं है। जस्टिस अनिल के नरेंद्रन और जस्टिस पीजी अजित कुमार की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है।
मंदिर को 24 घंटे खुला रखने का दावा नहीं कर सकते
न्यायधीशों की खंडपीठ ने कहा कि कोई भी श्रद्धालु यह दावा नहीं कर सकता है कि मंदिर 24 घंटे खुला रहना चाहिए। इसके साथ ही किसी भी भक्त को मंदिर में पुजारी की तरह पूजा करने या अनुष्ठान कराने को भी कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। वह सामान्य भक्तों की तरह मंदिर दर्शन करने और पूजा करने के लिए आ सकता है।
अयप्पा मंदिर में पुजारी तैनाती की योग्या पर सवाल
देवदास बोर्ड ने अधिसूचना में कहा है कि सबरीमाला अयप्पा मंदिर में मेलशांति यानी उच्च पुजारी के पद पर आवेदन करने वाला उम्मीदवार मलयाली ब्राह्मण समुदाय से होने चाहिए। इसे लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल कर ऐसी मांग को संविधान के धारा 14,15,16,17 औऱ 21 का उल्लंघन करता है। हाईकोर्ट ने देवदास बोर्ड के खिलाफ दायर याचिका की कुछ बातें मानी लेकिन इस याचिका को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा है कि याचिका में तथ्यों का अभाव है।