
Archana Tiwari Police Press Conference: भोपाल की वकील अर्चना तिवारी मिसिंग केस (Archana Tiwari Missing Case) ने पूरे मध्य प्रदेश को हिलाकर रख दिया। यह सिर्फ एक भागने की कहानी नहीं थी, बल्कि इसमें कई किरदार, कई शहर और ढेर सारे सवाल जुड़े हुए थे। आखिर क्यों एक पढ़ी-लिखी, जज बनने की तैयारी कर रही वकील ने अचानक घरवालों, पुलिस और समाज को धोखा देकर रहस्यमयी ढंग से गुमशुदा होने की प्लानिंग की?
पुलिस प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलासा हुआ कि अर्चना तिवारी की गुमशुदगी (Archana Tiwari Missing Mystery) के पीछे सबसे बड़ी वजह शादी का दबाव था। अर्चना मूल रूप से कटनी की रहने वाली थीं, जबलपुर में वकालत की प्रैक्टिस कर चुकी थीं और इंदौर में सिविल जज की तैयारी कर रही थीं। परिवार वालों ने राखी पर ही साफ कह दिया था-अब पढ़ाई बंद करो और पटवारी से शादी करो। शादी का दबाव इस कहानी की सबसे बड़ी वजह बनकर सामने आया। परिवार लगातार रिश्ता तय कर रहा था, लेकिन अर्चना करियर पर फोकस करना चाहती थी। इसी दबाव से परेशान होकर उसने दोस्त सारांश जोगचंद और ड्राइवर तेजिंदर की मदद से ट्रेन से गायब होने का नाटक किया। यही दबाव अर्चना को भीतर से तोड़ गया और उसने भागने की योजना बना ली।
अर्चना तिवारी के इंदौर से नेपाल (Archana Tiwari Indore to Nepal Case) पहुंचने तक के प्रकरण में अहम किरदार सारांश जोगचंद ने निभाया। करीब 8 महीने पहले 1 जनवरी 2025 को ट्रेन यात्रा के दौरान अर्चना की सारांश जोगचंद से मुलाकात हुई। ड्रोन बिजनेस के बहाने दोस्ती शुरू हुई और धीरे-धीरे बातचीत गहरी हो गई। पुलिस पूछताछ में अर्चना ने लव अफेयर से इनकार किया और कहा-सिर्फ दोस्ती थी। लेकिन दोस्ती ही वो सहारा बनी जिसने भागने की साजिश को जन्म दिया।
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6 अगस्त 2025 को हरदा जाते समय रास्ते में एक ढाबे पर अर्चना तिवारी के घर से भागने की प्लानिंग (Archana Tiwari Case Planning) बनी। उस वक्त ढाबे पर अर्चना तिवारी, सारांश और तेजिंदर सिंह ने बैठकर तय किया कि वह कैसे लापता होगी। योजना बनी कि ट्रेन से उतरकर कपड़े और घड़ी नदी में फेंक दिया जाएगा ताकि लगे कि अर्चना ट्रेन से गिर गई। जीआरपी की लापरवाही का फायदा उठाने का पूरा हिसाब लगाया गया था।
अर्चना का सफर किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं था। अर्चना ने इटारसी रेलवे स्टेशन से अपनी "गायब" होने की कहानी बुनी। उसने कपड़े बदलकर ट्रेन से उतरने के बाद मोबाइल और घड़ी तेजिंदर को दे दिए और कहा कि उन्हें नदी में फेंक दे, ताकि सबको लगे कि वह ट्रेन से गिर गई है। इसके बाद वह शुजालपुर से बुरहानपुर, फिर हैदराबाद, उसके बाद जयपुर, दिल्ली और अंततः काठमांडू (Archana Tiwari Kathmandu Missing Story) तक। पूरे सफर में मोबाइल फ्लाइट मोड पर रहा ताकि पुलिस ट्रैक न कर सके। सारांश और तेजिंदर ने रास्ते में मदद की, नया मोबाइल भी खरीदा गया और CCTV से बचने के लिए टोल नाके तक चेक किए गए।
जब अर्चना तिवारी केस में पुलिस प्रेस कांफ्रेंस (Archana Tiwari Case Police Press Conference) हुई तो कई बातें सामने आईं-
पुलिस ने साफ किया कि इस केस में कोई Crime Angle या Love Jihad Theory नहीं है। यह सिर्फ परिवार के शादी के दबाव से परेशान होकर रची गई Missing Mystery Case थी। पुलिस ने कहा कि अर्चना ने खुद प्लानिंग की, दो दोस्तों की मदद ली, लेकिन कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं होगा क्योंकि उसने किसी के साथ धोखाधड़ी नहीं की।
आखिरकार पुलिस ने केस सुलझा दिया। जो कहानी एक मिसिंग मिस्ट्री (Archana Tiwari Missing Mystery Solved) की तरह शुरू हुई थी, वह शादी के दबाव और मानसिक तनाव की कहानी बनकर खत्म हुई। हालांकि समाज में यह सवाल अब भी बना हुआ है-क्या पढ़ी-लिखी युवतियों को परिवार और समाज इतनी मजबूरी में धकेल रहे हैं कि वे खुद को गायब करने तक मजबूर हो जाती हैं?
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