Baitul Cough Syrup Deaths: बैतूल में कफ सिरप से दो बच्चों की मौत, क्या छिंदवाड़ा की कहानी दोहराई गई?

Published : Oct 05, 2025, 12:28 PM IST
Baitul cough syrup deaths

सार

Baitul Cough Syrup Deaths: क्या छिंदवाड़ा की तरह बैतूल में भी वही खौफनाक कहानी दोहराई गई? दो मासूम बच्चों की मौत ने स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की नींद उड़ा दी, और हर कोई यह जानने के लिए बेताब है कि असली वजह क्या थी।

Baitul Cough Syrup Deaths Update: मध्य प्रदेश में कफ सिरप का मामला अब बैतूल तक पहुंच गया है। छिंदवाड़ा में 11 बच्चों की मौत के बाद, बैतूल के आमला ब्लॉक के दो गांवों में दो मासूमों की जान चली गई। ढाई साल का गर्मित और चार साल का कबीर यादव अचानक बीमार हो गए थे, और दोनों ने कफ सिरप पी थी। उनकी हालत इतनी गंभीर हो गई कि पहले उन्हें आमला और बैतूल जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, फिर हालत बिगड़ने पर भोपाल के हमीदिया अस्पताल रेफर किया गया।

बच्चों की मौत पर क्या बोले डॉक्टर?

बीएमओ आमला डॉ. अशोक नरवरे के अनुसार, दोनों बच्चों की मौत इलाज के दौरान हुई। परिजनों ने बताया कि बच्चों को परासिया के एक डॉक्टर को दिखाया गया था, और वहीं से उन्हें कफ सिरप दिया गया। दोनों बच्चों की मौत के बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग जांच में जुट गए हैं। डॉ. नरवरे ने कहा कि गर्मित की किडनी फेल हुई थी, जबकि कबीर यादव की भी गंभीर हालत थी।

क्या बैतूल में वही दवा इस्तेमाल हुई जिससे छिंदवाड़ा में बच्चों की जान गई?

स्वास्थ्य विभाग अब यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या बैतूल में वही कफ सिरप इस्तेमाल हुआ, जिसने पहले छिंदवाड़ा में हादसा किया था। प्रशासन ने मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है और जांच में डॉक्टर की भूमिका पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

क्यों बढ़ रही है चिंता?

बैतूल में दो नई मौतों ने पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की चिंता और बढ़ा दी है। औषधि विभाग और स्वास्थ्य अमले को अलर्ट किया गया है ताकि दवा की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। यह मामला केवल बैतूल तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश में बच्चों की सुरक्षा और दवा की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा कर रहा है।

क्या भविष्य में बचाव संभव है?

स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन मिलकर यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि भविष्य में कोई और मासूम दवा के कारण जीवन का जोखिम न उठाए। दवा की जांच, डॉक्टर की भूमिका की पड़ताल और जागरूकता कार्यक्रम अब प्रमुख कदम बन गए हैं।

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