धीरेंद्र शास्त्री की कथा से तड़प रही नेहरू-गांधी की आत्मा, दिग्विजय-खरगे खामोश...वजह कमलनाथ ?

धीरेंद्र शास्त्री की यह कथा छिंदवाड़ा के सिमरिया मंदिर के पीछे 5 से 7 अगस्त तक चली। तीन दिन तक चलने वाली इस भगवत कथा में लाखों की संख्या में लोग पहुंचे।लेकिन कथा में कांग्रेस का बड़ा नेता नजर नहीं आया। जिसकी चर्चा जोरो पर है।

छिंदवाड़ा. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने गढ़ गृह जिले छिंदवाड़ा में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा का आयोजन कराया। इस दौरान बागेश्वर के दर्शन करने के लिए लाखों की संख्या में लोग पहुंचे।लेकिन कथा में कांग्रेस का बड़ा नेता नजर नहीं आया। जिसको लेकर कांग्रेस के अंदर खाने से चर्चा जोरों पर है कि इस आयोजन को लेकर कांग्रेस के नेता ने कमलनाथ पर निशाना साधा है।

कमलनाथ की पूजा से क्यों भड़के कांग्रेसी

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बता दे कि जब पहले दिन 5 अगस्त को धीरेंद्र शास्त्री छिंदवाड़ा पहुंचे तो कमलनाथ ने अपने आवास पर बागेश्वर सरकार का स्वागत करते हुए आरती उतारी-तिलक किया और पूजा अर्चना की। लेकिन कमलनाथ के जरिए की गई धीरेंद्र शास्त्री पूजा और स्वागत से कई कांग्रेसी नेता नाराज हैं। खासकर कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने ट्वीट कर कमलनाथ और अन्य कांग्रेसी नेताओं पर जमकर हमला बोला है, उन्होंने कहा यह कांग्रेस को शोभा नहीं देता है।

-आज गांधी की आत्मा रो रही होगी, पंडित नेहरू और भगतसिंह तड़प रहे होंगे

प्रमोद कृष्णम ने कहा मुसलमानों की प्रॉपर्टी पर बुलडोजर चलाना आरएसएस का एजेंडा 'हिंदू राष्ट्र' की वकालत करने वाले बीजेपी के स्टार प्रचारक की आरती उतारना सही नहीं है। प्रमोद कृष्णम ने ट्वीट में कहा-आज गांधी की आत्मा रो रही होगी, पंडित नेहरू और भगतसिंह तड़प रहे होंगे। हमने महापुरुषों का भी ख्याल नहीं रखा।

दिग्विजय सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष खरगे हैं खामोश

इतना सब होने के बाद भी सेक्युलरिज्म के ध्वजवाहक जयराम रमेश, दिग्विजय सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सब खामोश हैं। उन्होंने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को टैग भी किया है। कमलनाथ नेआचार्य प्रमोद कृष्णम पर हमला बोलते हुए कहा कि धीरेंद्र शास्त्री की कथा छिंदवाड़ा का सौभाग्य । जो सवाल उठा रहे हैं, उनके पेट में क्यों दर्द हो रहा है।

छिंदवाड़ा में 5 से 7 अगस्त तक चली धीरेंद्र शास्त्री की कथा

बता दें कि धीरेंद्र शास्त्री की यह कथा छिंदवाड़ा के सिमरिया मंदिर के पीछे 5 से 7 अगस्त तक चली। तीन दिन तक चलने वाली इस भगवत कथा का समय शाम 4 बजे से 7 बजे तक का रखा गया था। आयोजन के लिए किसानों से 25 एकड़ जमीन दो महीने के लिए किराए पर ली गई थी। बताया जाता है कि इस जमीन का किराया प्रति एकड़ 18 हजार रुपए किराया दिया गया। समीति ने कथा में आने वाले लोगों के लिए यहां ठहरने से लेकर खान-पान की व्यवस्था की थी। ताकि बाहर से कथा सुनने आने वाले भक्तों को किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।

 

 

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