
Kailash Vijayvargiya statement: मध्यप्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय एक बार फिर अपने बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं। इस बार उन्होंने महिलाओं के पहनावे को लेकर ऐसा बयान दिया है, जो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है और चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है।
इंदौर के एक कार्यक्रम में मंच से भाषण देते हुए विजयवर्गीय ने कहा: "जब लड़कियां मेरे साथ सेल्फी लेने आती हैं, तो मैं उनसे कहता हूं– बेटा, पहले अच्छे कपड़े पहनकर आओ, तब फोटो लेना।" यह बयान सुनते ही मंच पर बैठे लोग तो हंसते नजर आए, लेकिन सोशल मीडिया पर इस बयान की जमकर आलोचना हो रही है।
विजयवर्गीय ने सिर्फ यहीं तक बात नहीं रोकी। उन्होंने छोटे भाषणों की तुलना भी लड़कियों के पहनावे से कर दी। उन्होंने कहा: "छोटा भाषण अच्छा होता है, जैसे अच्छे कपड़े पहनने वाली लड़कियां अच्छी लगती हैं। विदेशों में कम कपड़े पहनने को अच्छा माना जाता है, ये सोच गंदी है।" इस बयान से नई बहस छिड़ गई है कि क्या नेता अब महिलाओं के पहनावे पर नैतिकता तय करेंगे?
वीडियो वायरल होते ही राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया। महिला संगठनों और विपक्षी नेताओं ने इस बयान को महिलाओं की स्वतंत्रता पर हमला बताया है। ट्विटर पर हैशटैग #VijayvargiyaControversy ट्रेंड करने लगा है।
यह पहली बार नहीं है जब कैलाश विजयवर्गीय विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में आए हों। इससे पहले भी वे महिलाओं, मॉरल पुलिसिंग और अन्य सामाजिक मुद्दों पर भड़काऊ और सीमित सोच वाले बयान दे चुके हैं, जो विपक्ष के निशाने पर रहे हैं।
इस पूरे विवाद के बीच सबसे बड़ा सवाल यही खड़ा होता है कि क्या एक जनप्रतिनिधि को यह अधिकार है कि वह महिलाओं को उनके कपड़ों पर टिप्पणी करे? क्या यह महिलाओं की निजता और स्वतंत्रता पर हस्तक्षेप नहीं है?
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