
Jhabua Babies Burned: मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में अंधविश्वास के नाम पर तीन मासूम बच्चों के साथ बेहद शर्मनाक और खतरनाक घटना सामने आई है। बच्चों का इलाज करने की बजाय, परिजनों ने तांत्रिक के कहने पर गर्म सलाखों से बच्चों को जला दिया। यह अमानवीय कार्य निमोनिया से पीड़ित बच्चों पर किया गया और सभी बच्चे ऑक्सीजन सपोर्ट पर गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। इस घटना पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने स्वतः संज्ञान लिया है।
तीनों बच्चों में दो की उम्र मात्र दो महीने है और तीसरी बच्ची छह महीने की है। जानकारी के अनुसार, बच्चों को गांव के एक तांत्रिक के कहने पर गर्म लोहे की छड़ से जला दिया गया। पहली बच्ची, जिसकी उम्र सिर्फ दो महीने है, का इलाज अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में चल रहा था, लेकिन उसकी गर्दन और पेट पर कई जगह घाव बने। दूसरे बच्चे के पेट पर तीन गहरे दाग हैं, जबकि तीसरी बच्ची के पेट और पीठ पर हाल ही में दाग के निशान पाए गए। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे इलाज से बच्चों की जान खतरे में पड़ सकती है।
झाबुआ में यह घटना 2023 में भी हुई थी, जब बच्चों को इसी तरह से गर्म सलाखों से दागा गया था। उस समय NHRC ने कड़ी कार्रवाई की थी और दोषियों की गिरफ्तारी हुई थी। बावजूद इसके, अब फिर से अंधविश्वास ने मासूमों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया।
इस गंभीर मामले पर NHRC ने झाबुआ के कलेक्टर और SP को नोटिस जारी किया है। आयोग ने दोनों अधिकारियों से दो हफ्ते में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों का कहना है कि निमोनिया या अन्य संक्रमण का इलाज केवल डॉक्टरों की देखरेख में ही होना चाहिए, अंधविश्वास बच्चों के लिए जानलेवा हो सकता है।
तीनों बच्चे वर्तमान में अस्पताल में ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। डॉक्टर पूरी कोशिश कर रहे हैं कि बच्चों की जान बच सके। परिजनों की लापरवाही और अंधविश्वास के चलते बच्चों को हुए नुकसान ने पूरे जिले में चिंता और डर का माहौल पैदा कर दिया है।
यह घटना केवल झाबुआ की ही नहीं, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश की शर्मनाक हकीकत को उजागर करती है। अंधविश्वास और तांत्रिकों के गलत प्रभाव ने मासूम बच्चों की जिंदगी पर खतरा डाल दिया है। अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन और समाज मिलकर इस बुराई को रोक पाएंगे?
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