
प्राचीन अवंतिका नगरी उज्जैन में इस दीपावली का उत्सव कुछ अलग और भव्य रहा। बाबा महाकाल की नगरी में सोमवार की रात जब रुद्र सागर परिसर रोशनी और जलधारा से जगमगा उठा, तो उपस्थित श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो उठे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने महाकाल लोक परिसर में वाटर स्क्रीन प्रोजेक्शन और फाउंटेन शो का लोकार्पण कर इस भव्य आयोजन की शुरुआत की। यह शो उज्जैन के आध्यात्मिक वैभव और ऐतिहासिक गौरव का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा 18 करोड़ 7 लाख रुपये की लागत से यह अत्याधुनिक लेजर एंड साउंड शो तैयार किया गया है। लगभग 25 मिनट के इस शो में भगवान श्री महाकालेश्वर, मोक्षदायिनी शिप्रा नदी और अवंतिका नगरी की कीर्ति गाथा को जल की स्क्रीन और रोशनी के संगम से प्रदर्शित किया गया। जैसे ही शो शुरू हुआ, श्रद्धालुओं ने जय महाकाल के उद्घोष से वातावरण को गूंजा दिया।
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इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने श्री महाकालेश्वर मंदिर में “श्री अन्न लड्डू प्रसादम” का शुभारंभ किया, जो मिलेट (श्री अन्न) से निर्मित होगा। यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के श्री अन्न वर्ष की परिकल्पना से प्रेरित है। साथ ही मुख्यमंत्री ने श्री महाकालेश्वर बैंड का भी शुभारंभ किया, जिसने अपनी पहली भक्ति प्रस्तुति से श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने महाकाल लोक परिसर में दीप प्रज्ज्वलन और दीपदान भी किया। परिसर की हर दिशा में दीपों की लौ से भक्ति और आलोक का संगम दिखाई दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आयोजन केवल तकनीक का प्रदर्शन नहीं, बल्कि धार्मिकता और संस्कृति का समागम है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बाबा महाकाल के आशीर्वाद से राष्ट्र तेजी से प्रगति कर रहा है। उज्जैन केवल एक नगर नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक आत्मा का प्रतीक है। यहां का इतिहास, परंपरा और अध्यात्म देश को दिशा देते हैं।”
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस फाउंटेन और लेजर शो से उज्जैन आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु शहर की गौरवगाथा से रूबरू होंगे। यह शो उनकी जिज्ञासाओं को भी शांत करेगा और पर्यटन को नई दिशा देगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में महाकाल सवारी और अन्य पर्वों पर भी महाकालेश्वर बैंड की प्रस्तुति नियोजित ढंग से की जाएगी।
महाकाल लोक परिसर में हुए इस आयोजन ने उज्जैन को एक बार फिर राष्ट्रीय मंच पर विशेष पहचान दिलाई है। धार्मिक आस्था, आधुनिक तकनीक और सांस्कृतिक गौरव का यह संगम मध्यप्रदेश को आध्यात्मिक पर्यटन की राजधानी के रूप में सशक्त बना रहा है।
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