MP के मंत्री ने खास शोकेस में क्यों रखा 108 नदियों का पानी, 100 साल बाद बड़े काम का ये Idea

Published : Dec 24, 2025, 04:37 PM IST
MP Minister Prahlad Patel

सार

मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने बंगले में बने दफ्तर में जैसे ही आप जाएंगे तो आपको एक कोने में फ्रिज की तरह रखी लकड़ी की अलमारी नजर आएगी। जिसमें108 से ज्यादा नदियों का जल-मिट्टी सहेजकर रखा है।

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनट मिनिस्टर प्रहलाद सिंह पटेल के भोपाल स्थित ‘बी-7, सिविल लाइन’ बंगले में जो भी जाता है वह ड्राइंग रूम में रखी एक अलमारी को लेकर जरूर देखता है। जिसे पहली बार देखने पर हर कोई लैब की सामग्री समझता है। लेकिन जब उनके पास जाता है तो वह सैकड़ों छोटी-बड़ी कांच की शीशियां हैं, जिसमें मध्यप्रदेश की 108 से ज्यादा नदियों का पवित्र जल और मिट्टी सहेजकर रखा गया है।

Biodiversity बचाने की कोशिश

 पटेल ने इस बारे में बताया कि ‘जैव विविधिता’ पर्यावरण का महत्वपूर्ण हिस्सा है। विशेषकर आप नदियों के आसपास के क्षेत्र का भ्रमण कीजिए। यह शाश्वत सत्य है कि जैव वैविध्य वन्य जीवन और कृषि फसल प्रजातियों में अत्यधिक समृद्ध रही है। लेकिन हमने अपने लालच, निजी हित और तथाकथित विकास की आड़ में इसे दरकिनार कर दिया।

मंत्री ने ‘नर्मदा परिक्रमा’ के दौरान जमा किया जल

 मैंने अपनी पहली ‘नर्मदा परिक्रमा’ 1994 में की थी। नर्मदा नदी के आसपास की जैव विविधता अब; तब जैसी बिलकुल नहीं रही। यह परिवर्तन पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है। दो साल पहले हमने 'उद्गम मानस यात्रा' की शुरुआत की है। इस वर्ष तक तक 108 से अधिक नदियों के उद्गम स्थलों तक पहुंचा हूं। यात्रा के बीच ईश्वर ने जैसे संकेत दिए कि इन उद्गम स्थल का पवित्र जल और मिट्टी का अंश संरक्षित करके रखना चाहिए। ताकि 100-150 वर्ष बाद भी ‘जैव विविधता’ के शोध में काम आ सके।

मंत्री ने क्यों लिया है यह अनूठा संकल्प

 इन्हें तीन हिस्सों में बांटकर रखा है। कुछ जल मिट्टी 10-20 साल बाद शोध के काम आएगी, कुछ इसके बाद और बाकी आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रहेगी। मेरा यह प्रयास ‘जैव विविधता’ को उसके प्राकृतिक स्वरूप में लौटाने के काम आ सके, मेरा यही संकल्प है। मिट्टी और जल के मूल गुण-धर्म को बचाए रखना हमारा कर्तव्य है। पर्यावरण के प्रति परम धर्म है।

पीएम मोदी और मोहन भागवत कर चुके हैं तारीफ

पटेल कार्यक्रमों में लोगों को संकल्प दिलाते हैं कि जीवनदायिनी नदियों के पुनर्जीवन और संरक्षण की चिंता करें, ताकि भावी पीढ़ी हमें कोसे नहीं। उनका कहना है कि ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं, हिमालय खिसक रहा है। यह चिंता का विषय है। पटेल आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत को नर्मदा परिक्रमा पर लिखी  पुस्तक ‘परिक्रमा’ और बॉक्स में 108 नदियों के उद्गम से संकलित जल और मिट्टी भेंट कर चुके हैं। भगवत ने उनके इस प्रयास की तारीफ भी की थी। वहीं पटेल  प्रधानमंत्री मोदी को भी 108 नदियों के जल और मिट्टी को भेंट कर चुके हैं। पीएम मोदी ने भी उनकी सराहना की थी। पटेल का कहना है कि इन शीशियों को विशेषतौर पर तैयार इसलिए कराया गया है, ताकि जल-मिट्टी सदियों तक अपने मूल स्वभाव-गुण में रहे। 

 

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