
Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि 2025 के पावन अवसर पर पातालेश्वर धाम में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। यह मंदिर 250 साल से भी अधिक पुराना है और अपने रहस्यमयी इतिहास के कारण आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। मान्यता है कि यहां पाताल लोक से स्वयं शिवलिंग प्रकट हुआ था, जिससे इस धाम को "पातालेश्वर" नाम दिया गया।
इस वर्ष महाशिवरात्रि पर धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग और त्रिग्रही योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं, जो भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं। मंदिर में मंगलवार रात से ही महाशिवरात्रि की पूजा-अर्चना शुरू हो गई थी, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल हुए।
छिंदवाड़ा जिले में स्थित पातालेश्वर धाम कई रहस्यों को समेटे हुए है। मान्यता के अनुसार, घने जंगलों के बीच अचानक शिवलिंग प्रकट हुआ था। जब स्थानीय संत गंगागिरी बाबा को इस स्थान की दिव्य अनुभूति हुई, तो उन्होंने खुदाई करवाई, जिसमें भूरे रंग का चमत्कारी शिवलिंग निकला।
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लगभग ढाई सौ साल पहले गोस्वामी संप्रदाय के नागा संत गंगागिरी बाबा इस स्थान पर आए थे। कहते हैं कि एक रात उनके स्वप्न में भगवान शिव प्रकट हुए और अपने अस्तित्व का संकेत दिया। अगले ही दिन जब उन्होंने खुदाई करवाई, तो वहां शिवलिंग मिला। इसके बाद छोटी-सी मढ़िया में शिवलिंग स्थापित किया गया, जो समय के साथ एक भव्य मंदिर में परिवर्तित हो गया।
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर में कई अद्भुत चमत्कार होते हैं। कहते हैं कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जो सच्चे दिल से भगवान शिव की आराधना करता है, उसे विशेष कृपा प्राप्त होती है।
आज यह स्थान छिंदवाड़ा जिले का प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल बन चुका है। हर साल हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं, विशेषकर महाशिवरात्रि और श्रावण मास में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। महाशिवरात्रि 2025 पर पातालेश्वर धाम में अद्भुत आध्यात्मिक माहौल देखने को मिला। इस मंदिर की रहस्यमयी कहानी और ऐतिहासिक महत्व इसे अन्य शिव मंदिरों से अलग बनाते हैं। यदि आप भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो एक बार पातालेश्वर धाम के दर्शन अवश्य करें।
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