
MP Traffic Jam Death NHAI Controversy: मध्य प्रदेश में आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-3) के इंदौर-देवास खंड पर 40 घंटे तक लगे जाम ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। भीषण गर्मी और जाम के कारण तीन लोगों की मौत हो गई। ये तीनों लोग इलाज, पारिवारिक काम और ज़रूरी यात्रा पर निकले थे, लेकिन जाम के बीच ही उन्होंने दम तोड़ दिया।
इस घटना पर सबसे चौंकाने वाली बात तब सामने आई जब हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में सुनवाई के दौरान NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के वकील ने कहा—"लोग इतनी जल्दी घर से क्यों निकलते हैं?" इस बेहूदा और असंवेदनशील टिप्पणी ने देशभर में आक्रोश फैला दिया है। सोशल मीडिया से लेकर समाचार चैनलों तक, लोग यह सवाल कर रहे हैं कि जब सिस्टम अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहा, तो जनता को ही दोष क्यों?
जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की हाईकोर्ट बेंच ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार, NHAI, इंदौर जिला प्रशासन और पुलिस को नोटिस जारी कर 7 जुलाई तक जवाब तलब किया है।
कोर्ट ने यह भी बताया कि सितंबर 2024 तक डायवर्शन रोड बनाने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके थे, लेकिन काम आज तक अधूरा है।
NHAI ने अपनी देरी का कारण बताया कि क्रशर यूनिट्स की 10 दिन की हड़ताल के कारण निर्माण कार्य प्रभावित हुआ। इस पर कोर्ट ने कहा कि आपको पहले ही 3 से 4 महीने का समय दिया गया था, फिर भी आप समय पर काम पूरा नहीं कर पाए। यह जनता की जान के साथ खिलवाड़ है।
वाली टिप्पणी पर जनता भड़क उठी है। ट्विटर (X), फेसबुक, इंस्टाग्राम पर लोग NHAI की संवेदनहीनता पर सवाल उठा रहे हैं। लोग लिख रहे हैं—"क्या अब सरकार बताएगी कि हमें कब घर से निकलना चाहिए?" यह सवाल जनता के दर्द को दर्शाता है।
हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में संकेत दिए हैं कि यदि अगली सुनवाई में संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो NHAI अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही, पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की भी चर्चा शुरू हो चुकी है। एक तरफ सड़कें अधूरी हैं, दूसरी तरफ समय पर काम न होने से जनता की जान जा रही है। और जब सवाल उठता है, तो संस्थाएं जवाब देने की बजाय जनता पर दोष मढ़ देती हैं। यह सिर्फ जाम नहीं था—यह एक सिस्टम का फेल्योर था!
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