
भोपाल. मध्य प्रदेश के दतिया जिले के इंदरगढ़ में एक मासूम की मौत का मामला मीडिया और सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। इंदरगढ़ के हेल्थ सेंटर में 27 अप्रैल की दोपहर करीब 2 बजे एक बच्चे की मौत हो गई। मां बच्चे की लाश को गोद में लिए वहां बैठी रोती रही। आरोप है कि डॉक्टरों की लापरवाही से बच्चे की जान गई। साथ ही एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंचने की बात भी कही गई है। इंदरगढ़ मध्य प्रदेश के होम मिनिस्टर नरोत्तम मिश्रा के गृह जिले यानी दतिया में आता है।
शुरुआत जानकारी के अनुसार बड़री गांव की रहने वाली 35 वर्षीय रेनू पति जगत सिंह जाटव अपने 6 महीने के बच्चे का इलाज के लिए सुबह करीब 11 बजे इंदरगढ़ के हेल्थ सेंटर लाई थीं। बच्चा तेज बुखार से तप रहा था। अस्पताल में डॉक्टर ने उसका चेकअप किया और फिर ड्राप लगा दी। लेकिन जब बच्चे की तबीयत में सुधार होते नहीं दिखा, तो डॉक्टर ने उसे दतिया जिला अस्पताल रेफर करने की बात कही।
महिला को रेफर का पर्चा दे दिया गया था। परिजनों ने 108 एम्बुलेंस को कॉल किया। आरोप है कि एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंची, इससे बच्चे को नहीं बचाया जा सका। बच्चे की मौत के बाद परिजनों ने हेल्थ सेंटर में हंगामा कर दिया। वे इंदरगढ़ थाने भी शिकायत लेकर पहुंचे, लेकिन वहां से उन्हें समझा-बुझाकर घर भेज दिया गया।
इससे पहले हेल्थ सेंटर में जमकर हंगामा हुआ। मामले को लेकर इंदरगढ़ बीएमओ ने मीडिया से बात नहीं की। मां का आरोप है कि इलाज के नाम पर डॉक्टर ने सिर्फ बोतल चढ़ा दी। वहीं, एम्बुलेंस के इंतजार में 2-3 घंटे वो बच्चे को लेकर बैठी रही। जबकि इंदरगढ़ से दतिया तक का रास्ता महज 40-45 मिनट का है।
अपने मासूम की मौत के बाद महिला उसके गोद में लिए रोती रही। उसके साथ 2 साल का दूसरा बेटा भी था। उसकी हालत देखकर किसी ने उसके पति को फोन किया। लेकिन उसे भी गांव से इंदरगढ़ तक आने में समय लगा। हंगामा बढ़ते देख ड्यूटी पर तैनात डॉ. जितेंद्र वर्मा ने फौरन प्राइवेट एम्बुलेंस बुलाकर महिला को घर रवाना कर दिया।
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