
Dharashiv Water Model: मराठवाड़ा (Marathwada) के धाराशिव ज़िले की ज़मीन जैसी सूखी है, वैसी ही यहां की नदियां भी हैं, जो यहां से निकलती तो हैं लेकिन लौटकर नहीं आतीं। पहले उस्मानाबाद (Osmanabad) के नाम से जाना जाने वाला यह ज़िला महाराष्ट्र के rain shadow हिस्से में आता है। यहां हर तीसरे साल सूखा पड़ना आम बात है। ऐसे में गांववाले अब खुद अपनी ज़िम्मेदारी उठाकर जल संकट (Water Crisis) का समाधान ढूंढ़ने निकले हैं।
धाराशिव ज़िला प्रशासन, महाराष्ट्र सरकार के जल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग और पुणे स्थित Watershed Organisation Trust (WOTR) की साझेदारी में यहां के 734 गांवों के बीच एक अनूठी जल प्रबंधन प्रतियोगिता (Village Water Management Competition) शुरू की गई है। प्रत्येक गांव को 100 अंकों के स्कोरिंग सिस्टम में आंका जाएगा, जिसमें जल संरक्षण, भूजल स्तर सुधार, जल गुणवत्ता और स्वच्छता जैसे मानकों को शामिल किया गया है।
धाराशिव जिला परिषद के CEO मैनाक घोष (Mainak Ghosh) ने कहा कि अगर इस प्रतियोगिता से कोई स्थानीय, इनोवेशन आधारित और टिकाऊ समाधान निकलता है तो हम उसे राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करेंगे। यह मॉडल पूरे भारत के गांवों के लिए मिसाल बन सकता है।
धाराशिव के कृषि अधिकारी रविंद्र माने (Ravindra Mane) बताते हैं कि ज़िले में नहर व्यवस्था बेहद कमजोर है और यहां कोई नदी बाहर से पानी लेकर नहीं आती। यहां नदियां शुरू होती हैं लेकिन बाहर से कोई नदी पानी लेकर नहीं आती, जैसे सोलापुर को उजनी डैम से मिलता है। इसलिए हमें उसी पानी से समाधान ढूंढना है जो हमारे पास है।
WOTR के जल विशेषज्ञ डॉ. ईश्वर काले (Dr. Eshwer Kale) ने बताया कि उन्होंने गांव स्तर पर जल प्रबंधन को मापने के लिए Water Governance Standard and Certification System तैयार किया है। यह प्रणाली NITI Aayog की Composite Water Management Index से प्रेरित है लेकिन गांवों के लिए विशिष्ट रूप से डिजाइन की गई है।
इस प्रतियोगिता में पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वाले गांवों को क्रमशः 5 लाख रुपये, 3 लाख रुपये और 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार मिलेगा। अब तक 140 से अधिक गांवों की ग्राम पंचायतों ने रजिस्ट्रेशन कर लिया है। अंतिम नामांकन की तिथि 15 अप्रैल है।
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