कौन थे डाॅ. दीपक तिलक? जिनका पुणे में हुआ निधन, लोकामन्य गंगाधर से क्या था रिश्ता?

Published : Jul 16, 2025, 10:38 AM ISTUpdated : Jul 16, 2025, 10:53 AM IST
Lokmanya Tilak Grandson Deepak Tilak Passed Away

सार

Tilak Dynasty in Mourning: पुणे में बुझा ऐतिहासिक दीपक- लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के परपोते और 'केसरी' के संपादक डॉ. दीपक तिलक का निधन। शिक्षा, पत्रकारिता और सामाजिक सेवा में ऐतिहासिक योगदान देने वाला व्यक्तित्व आज विदा हुआ।Ask ChatGPT

Lokmanya Tilak Grandson Passed Away: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पुरोधा लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के परपोते और ‘केसरी’ के सम्माननीय संपादक डॉ. दीपक जयंतराव तिलक का बुधवार सुबह निधन हो गया। उन्होंने पुणे स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। उनका निधन वृद्धावस्था से जुड़ी बीमारियों के कारण हुआ। उनके निधन से पुणे, महाराष्ट्र और राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़े हजारों लोगों में शोक की लहर फैल गई है।

संपादक से शिक्षाविद् तक: डॉ. दीपक तिलक का बहुआयामी योगदान

डॉ. दीपक तिलक न केवल 'केसरी' जैसे ऐतिहासिक पत्र के संपादक रहे, बल्कि उन्होंने शिक्षा, पत्रकारिता और समाज सेवा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे तिलक महाराष्ट्र विद्यापीठ के कुलपति भी रह चुके थे। भारत-जापान संबंधों को सशक्त बनाने के लिए उन्हें जापान सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा वर्ष 2021 में सम्मानित किया गया था, विशेष रूप से जापानी भाषा के प्रसार में उनके योगदान के लिए।

तिलक परिवार की सामाजिक परंपरा के सच्चे वाहक थे दीपक

डॉ. तिलक, गोवा मुक्ति आंदोलन के नेता और राज्यसभा सांसद रहे जयंतराव तिलक के पुत्र थे। उनकी माता स्व. इंदुताई तिलक भी सामाजिक कार्यों में अग्रणी रही हैं। ‘सेवा सदन’ और ‘हुजूर पागा’ जैसे संस्थानों से जुड़कर उन्होंने महिला और बाल शिक्षा के क्षेत्र में अनुकरणीय काम किया था।

राजनीति से लेकर परंपरा तक, एक जुड़ा हुआ परिवार

डॉ. तिलक के पुत्र रोहित तिलक कांग्रेस के नेता हैं और उन्होंने पुणे के कस्बा विधानसभा क्षेत्र से दो बार चुनाव लड़ा, हालांकि दोनों बार हार का सामना करना पड़ा। अंतिम संस्कार पुणे के वैकुंठ स्मशान घाट पर बुधवार दोपहर 12 बजे किया गया।

लोकमान्य गंगाधर परिवार के एक युग का अंत

डॉ. दीपक तिलक के निधन से भारतीय समाज ने एक विचारशील, विद्वान और शांत व्यक्तित्व को खो दिया है। वह व्यक्ति जो न केवल एक पत्र के माध्यम से जनता से जुड़ा, बल्कि भारत की सामाजिक चेतना और विचारधारा को भी जगा गया। उनकी यादें और विचार हमेशा प्रेरणा बनकर जीवित रहेंगे।

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