महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी बड़ी हार की तरफ बढ़ रही है। MVA गठबंधन सिर्फ 55 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। गुटबाजी, घटती लोकप्रियता, नेतृत्व संकट और विकास के मुद्दों पर विफलता जैसे कई कारण हार की वजह बने।
Maharashtra assembly election 2024 results: महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के नतीजे शनिवार सुबह 8 बजे से आ रहे हैं। महायुति गठबंधन जहां 200 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, वहीं महाविकास अघाड़ी महज 53 सीटों पर ही आगे है। शुरुआती दो घंटों में महायुति और महाविकास अघाड़ी में थोड़ी टक्कर दिखी, लेकिन बाद में महायुति एकतरफा जीत की तरफ बढ़ता दिख रहा है। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की हार के आखिर 10 सबसे बड़े कारण क्या रहे, जानते हैं।
महाविकास अघाड़ी में पार्टियों के बीच लगातार गुटबाजी और अंदरूनी कलह के कारण एकता नहीं बन पाई। उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच मतभेद, साथ ही कांग्रेस और NCP के बीच सामंजस्य की कमी के चलते महाविकास अघाड़ी को एक मजबूत और एकजुट नेतृत्व नहीं मिल पाया।
पिछले कुछ सालों में कांग्रेस और एनसीपी की लोकप्रियता लगातार घटी है। खासकर महाराष्ट्र के शहरी और ग्रामीण मतदाताओं के बीच इन पार्टियों के नेतृत्व में विश्वास कमजोर हुआ है।
2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के विभाजन के बाद महाविकास अघाड़ी को बड़ा झटका लगा है। भाजपा के साथ उद्धव ठाकरे के विरोध ने एक तरह से महाविकास अघाड़ी के प्रति मतदाताओं के आकर्षण को बहुत कम कर दिया है।
शरद पवार की बढ़ती उम्र और ये सवाल कि क्या भविष्य में उनका नेतृत्व जारी रहेगा, ये भी एक बड़ा कारण है। महाविकास अघाड़ी को अब एक स्थिर और युवा नेतृत्व की जरूरत है।
कांग्रेस में नेतृत्व का संकट साफतौर पर नजर आता है। कांग्रेस पार्टी महाराष्ट्र में सफलतापूर्वक प्रचार नहीं कर पाई। महाविकास अघाड़ी गठबंधन की तीनों पार्टियों में ही नेतृत्व की कमी साफी नजर आई।
महाविकास अघाड़ी सरकार में कई विकास कार्य उम्मीद के मुताबिक नहीं हुए। मतदाता उनके नेतृत्व में पब्लिक सर्विसेज, स्वास्थ्य, सड़कों और बुनियादी ढांचे की समस्याओं से दुखी रहा।
महाविकास अघाड़ी शासन के दौरान राज्य में बड़ा वित्तीय संकट था। कृषि, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर उनके वादे पूरे नहीं हुए, जिससे वोटर्स का भरोसा धीरे-धीरे कम होता गया।
महाविकास अघाड़ी में युवा पीढ़ी को जगह नहीं दी गई। गठबंधन को एक नये और आक्रामक नेतृत्व की जरूरत है, जो मतदाताओं को प्रेरित करे। हालांकि, महाविकास अघाड़ी अब तक कोई युवा नेतृत्व तैयार करने में असफल रहा है।
महाविकास अघाड़ी में सभी दल (कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना (उद्धव)) एक-दूसरे के साथ अच्छा समन्वय नहीं बना पाए। इससे कार्यकर्ताओं का उत्साह भी घट गया और वो पूरी ताकत के साथ काम नहीं कर पाए।
भाजपा की विकास योजनाओं ने लोगों में सकारात्मक सोच पैदा की है। जैसे-जैसे सरकार के कार्यों का सकारात्मक प्रभाव सामने आ रहा है, महाविकास अघाड़ी की प्रभावशीलता घटती जा रही है। महाविकास अघाड़ी ने मतदाताओं की बदलती प्राथमिकताओं पर फोकस नहीं किया, जिसका उसे भारी नुकसान हुआ।
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