राजस्थान के अजमेर के 33 वर्षीय प्रेमा राम पूरी तरह से दोनों हाथों के ट्रांसप्लांट(bilateral arm transplant) कराने वाले एशिया के पहले व्यक्ति बने हैं। मुंबई के ग्लोबल अस्पताल में डॉक्टरों की एक टीम ने 16 घंटे की कठिन सर्जरी करके यह उपलब्धि हासिल की।
अजमेर. राजस्थान के अजमेर के 33 वर्षीय प्रेमा राम पूरी तरह से दोनों हाथों के ट्रांसप्लांट(bilateral arm transplant) कराने वाले एशिया के पहले व्यक्ति बने हैं। मुंबई के ग्लोबल अस्पताल में डॉक्टरों की एक टीम ने 16 घंटे की कठिन सर्जरी करके यह उपलब्धि हासिल की, जो भारत के लिए एक मेडिकल माइलस्टोन है।
1.यह 10 साल पहले की बात है। एक इलेक्ट्रिक एक्सीडेंट में राम ने अपने दोनों हाथ खो दिए थे। खेत में काम करने के दौरान गलती से वह बिजली के खंभे के संपर्क में आ गए थे। उसमें करंट फैला हुआ था।
2. इस हादसे में राम के दोनों हाथ बुरी तरह झुलस गए थे। डॉक्टरों ने उनकी जान बचाने के लिए दोनों हाथ काटने की सलाह दी थी।
3.राम के परिवार ने कृत्रिम अंग( artificial limbs) हासिल करने की कोशिश की, लेकिन कोई भी उन्हें फंग्शनल हैंड्स नहीं दे सका। राम के हाथ कंधे के लेवल पर काट दिए गए थे, जिससे वह डेली एक्टिविटीज के लिए दूसरों पर अधिक निर्भर हो गए थे।
4. वर्षों राम ने अपने पैरों से कलम पकड़कर लिखना सीखा। राम ने कहा-"मैं अपने दोनों हाथ खो देने के बाद टूट गया था। बिना हाथ (amputation) के डिप्रेशन से निपटना निराशाजनक था। शुरुआत में यह बेहद चुनौतीपूर्ण था। मैंने हर दिन और हर मिनट संघर्ष किया। मुझे अपने दैनिक कर्म के लिए अपने भाइयों और परिवार के सदस्यों की मदद लेनी पड़ती थी।"
5. राम ने कहा-"विकलांग होने के बावजूद मैंने हार नहीं मानी। मुझे हमेशा विश्वास था कि मुझे इस समस्या का कुछ समाधान मिल सकता है। मैं सब कुछ एक सामान्य व्यक्ति की तरह ही करना चाहता था। मैंने इनोवेटिविली तरीके से बिना मदद के काम करना शुरू किया। मैं अपने पैरों से चीजों को पकड़ने की प्रैक्टिस करता और हर चीज पर अपनी पकड़ बनाता चला गया।"
6. राम ने कहा-"मैं जीवन से प्यार करता था और इसका अधिकतम लाभ उठाना चाहता था। मैंने हाल ही में अपनी एजुकेशन यानी बीएड एग्जाम पूरा किया।"
7. राम ने कहा-"मुझे नया हाथ देने के लिए मैं अपने परिवार के सदस्यों, डॉक्टरों और ग्लोबल हॉस्पिटल मुंबई की पूरी टीम का शुक्रिया अदा करता हूं। मेरा मानना है कि इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। मैं बहुत खुश हूं और अपने दम पर सब कुछ ठीक करने और सब कुछ करने के लिए उत्सुक हूं।"
8.राम ने पहले ही अपनी फिजियोथेरेपी शुरू कर दी है, जो अगले 18 से 24 महीने तक जारी रहेगी। ग्लोबल हॉस्पिटल्स में प्लास्टिक, हैंड एंड रिकंस्ट्रक्टिव माइक्रोसर्जरी एंड ट्रांसप्लांट सर्जरी डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. नीलेश जी सतभाई ने राम को उनके सपने को साकार करने में मदद करने वाले डॉक्टरों की टीम का नेतृत्व किया।
9.डॉ. सतभाई ने कहा, "पहले, यूरोप में एक बाइलेटेरल टोटल आर्म ट्रांसप्लांट किया गया था, और यह एशिया में पहला ऐसा ट्रांसप्लांट है। इस तरह के स्तर पर हैंड ट्रांसप्लांट करना बहुत चुनौतीपूर्ण है।"
10.डॉ. सतभाई ने कहा कि भारत ने एक नया बैंचमार्क स्थापित किया है। इसकी आवश्यकता थी, क्योंकि प्रोस्थेटिक्स(कृत्रिम अंग) स्थायी समाधान नहीं देते हैं। उन्होंने बताया कि कंधे के स्तर पर एक हाथ ट्रांसप्लांट भारत में कठिन या लगभग असंभव माने जाने के अलावा अमेरिका या यूरोप की तुलना में लगभग 8 से 10 गुना अधिक खर्चीला भी है।
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