Mumbai Jobs Eligibility: क्या मुंबई की कंपनियों में सिर्फ ‘लोकल’ उम्मीदवारों को नौकरी मिलना चाहिए? PG और किराएदारों के लिए यह नियम क्यों विवादास्पद है? ऑनलाइन वायरल एप्लीकेशन ने सोशल मीडिया पर गरमागरम बहस छेड़ दी, और लोग इसे 'रेड फ्लैग' बता रहे हैं।
Mumbai PG And Rental Flat Candidates Banned: मुंबई की एक कंपनी ने हाल ही में ऐसा नियम लगाया कि जो उम्मीदवार किराए के फ्लैट या पेइंग गेस्ट (PG) में रहते हैं, वे उस जॉब के लिए अप्लाई ही नहीं कर सकते। इस खबर ने सोशल मीडिया पर लोगों का ध्यान खींचा और इंटरनेट पर जमकर आलोचना हुई।
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क्या सिर्फ लोकल रहने वाले उम्मीदवारों को ही नौकरी मिलेगी?
दरअसल, कंपनी ने अपने जॉब एप्लीकेशन फॉर्म में केवल उन उम्मीदवारों को अप्लाई करने की अनुमति दी जो मुंबई में स्थायी रूप से अपने पते पर रहते हों। फॉर्म में लिखा था कि आवेदक का पैन कार्ड और आधार कार्ड उनके मौजूदा मुंबई रेजिडेंशियल एड्रेस से मेल खाना चाहिए। इसके अलावा, PG या किराए के फ्लैट में रहने वाले उम्मीदवार “एलिजिबल नहीं हैं।”
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क्या यह नियम सही है या अनुचित?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस जॉब एप्लीकेशन का स्क्रीनशॉट वायरल हो गया। इंटरनेट यूजर्स ने इसे “अनुचित” और “रेड फ्लैग” बताया। कई लोगों का कहना था कि कंपनी शायद लोकल उम्मीदवारों को इसलिए पसंद कर रही है ताकि सैलरी कम रखी जा सके। एक यूजर ने लिखा कि अगर कोई उम्मीदवार अपने माता-पिता के साथ रहता है, तो उसे किराया नहीं देना पड़ता, जिससे कंपनी उसे कम सैलरी देकर भी नौकरी दे सकती है।
X पर वायरल हुआ जॉब फॉर्म: कंपनी का ‘लोकल फर्स्ट’ क्लॉज क्यों बना विवादास्पद?
कई लोगों ने यह भी बताया कि यह नियम संविधान के अनुच्छेद 16 के खिलाफ हो सकता है। कुछ राज्यों में पहले भी ऐसी कोशिशें हुई थीं, लेकिन कोर्ट ने इसे रोक दिया। X यूजर्स ने कंपनी के नाम पर सवाल उठाए और इसे कानूनी मुसीबत में पड़ने वाला भी बताया।
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क्या मुंबई की कंपनियों में ‘केवल लोकल’ क्लॉज आम है?
हालांकि, कुछ लोगों ने कहा कि मुंबई की कंपनियों में सिर्फ लोकल उम्मीदवारों को प्राथमिकता देना असामान्य नहीं है। वहीं, अन्य लोगों ने कहा कि इसे सोशल मीडिया पर उजागर करना जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी अनुचित हायरिंग पॉलिसी से बचा जा सके।
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इंटरनेट ने क्या प्रतिक्रिया दी?
सोशल मीडिया पर लोग गुस्से में हैं और सवाल उठा रहे हैं कि क्या PG या किराए पर रहने वाले उम्मीदवारों को नौकरी से बाहर करना सही है। कई लोगों ने इसे ‘भेदभावपूर्ण’ और ‘अकुशल भर्ती नीति’ बताया। इस विवाद ने नौकरी ढूंढने वालों और हायरिंग पॉलिसी पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है।
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