48 साल की फरारी: 77 साल के आरोपी को आखिरकार मुंबई पुलिस ने कैसे पकड़ा?

Published : Oct 15, 2025, 10:49 AM ISTUpdated : Oct 15, 2025, 11:02 AM IST
Mumbai Police Success Story

सार

Mumbai Fugitive Arrest: 48 साल तक फरार रहे 77 वर्षीय हत्या के प्रयास आरोपी चंद्रशेखर कालेकर को मुंबई पुलिस ने दापोली से गिरफ्तार किया। दशकों बाद पुलिस की नाकामी खत्म, आखिरकार पुराना केस हुआ हल। जानिए पूरी कहानी।

मुंबई: लगभग 48 साल तक फरार रहने के बाद मुंबई पुलिस ने 77 वर्षीय हत्या के प्रयास आरोपी चंद्रशेखर मधुकर कालेकर को गिरफ्तार कर एक बड़ी सफलता हासिल की है। यह मामला 1977 का है, जब कालेकर ने अपनी प्रेमिका पर धारदार हथियार से हमला किया था। महिला बच गई थी, लेकिन आरोपी ने जमानत मिलने के बाद अचानक गायब हो गया और दशकों तक पुलिस की नजरों से बचता रहा।

कैसे रही कालेकर की फरारी? 

चंद्रशेखर मधुकर कालेकर उस समय लालबाग में हिंदमाता सिनेमा के पास हाजी कसम चॉल में रहता था। वह वर्ली की एक निजी कंपनी में काम करता था और अच्छी तनख्वाह पाता था। शहर के अलग-अलग हिस्सों में जैसे अंधेरी, सांताक्रूज़ और डोंबिवली में पार्टीज और दोस्तों के बीच वह अपनी पहचान छुपाता रहा। पुलिस के अनुसार, इस दौरान उसने कई बार अपना नाम और हुलिया बदलकर खुद को गुमराह किया।

48 साल बाद कैसे पकड़ में आया? 

पुलिस ने इस पुराने मामले को छह महीने पहले फिर से खोला। जांच में मतदाता रिकॉर्ड और रत्नागिरी ज़िले के दापोली तालुका में मिलते-जुलते नाम की तलाश शुरू की। आरटीओ रिकॉर्ड से पता चला कि कालेकर ने 2023 में अपना ड्राइविंग लाइसेंस नवीनीकृत किया। इसके साथ ही मोबाइल फ़ोन के IMEI नंबर और पुराने दोस्तों की पहचान से पुलिस ने उसका ठिकाना दापोली के करंजानी गाँव में खोज निकाला।

आखिरकार पुलिस की गिरफ्त में कैसे आया चंद्रशेखर मधुकर कालेकर? 

पुलिस टीम ने सोमवार रात चंद्रशेखर मधुकर कालेकर को गिरफ्तार किया और उसे मुंबई वापस लाया। मंगलवार को अदालत में पेश करने के बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। अधिकारी बता रहे हैं कि इस गिरफ्तारी ने यह साबित कर दिया कि पुराना अपराध भी आखिरकार उजागर होता है, चाहे वह 48 साल पुराना क्यों न हो।

क्या हुआ था उस घटना में? 

1977 में आरोपी ने अपनी प्रेमिका पर हमला किया था। वह गुस्से में कथित तौर पर चाकू से उसके पेट, पीठ और हाथों पर कई बार वार कर रहा था। महिला इस हमले में बच गई थी। जमानत मिलने के बाद वह गायब हो गया और पुलिस को उसके ठिकाने का पता नहीं चल सका। यह मामला 48 साल बाद न केवल मुंबई पुलिस की सफलता है बल्कि यह दर्शाता है कि समय बीतने के बावजूद अपराधी को पकड़ना संभव है।

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