3 साल तक बंद फ्लैट, इंसानी मल से अटा पड़ा कमरा- नवी मुंबई का हैरान कर देने वाला केस

Published : Jun 30, 2025, 03:36 PM IST
Navi Mumbai man locked

सार

नवी मुंबई में एक फ्लैट से फैली बदबू ने खोला ऐसा राज, जिसने हर किसी को चौंका दिया। इंसानी मल, सड़ी गंध और अकेलेपन के साए में बसी एक खौफनाक ज़िंदगी की दास्तान। पढ़िए पूरा सच…

Navi Mumbai man locked: महाराष्ट्र के हाईटेक और रफ्तार भरे शहर नवी मुंबई में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने पूरे शहर को झकझोर दिया। यहां एक 55 वर्षीय शख्स अनूप कुमार नायर, जो कभी एक होनहार कंप्यूटर प्रोग्रामर हुआ करते थे, पिछले तीन वर्षों से खुद को एक फ्लैट में कैद कर पूरी दुनिया से कट चुके थे। उनका एकमात्र संपर्क ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप्स के जरिए था, जिससे वे खाना मंगाते थे।

भयावह थी फ्लैट की हालत

उनके फ्लैट की हालत इतनी भयावह थी कि वहां मानव मल, सड़ी गंध और बिखरे कूड़े के ढेर ने उस इमारत के अन्य निवासियों को परेशान कर रखा था, लेकिन कोई अंदर जाने की हिम्मत नहीं कर पाया।

फ्लैट में ‘कब्र जैसी ज़िंदगी’ जी रहे थे अनूप 

इस चौंकाने वाले मामले का खुलासा तब हुआ जब एक जागरूक नागरिक ने NGO SEAL (Social & Evangelical Association for Love) को इस हालत की सूचना दी। संस्था के कार्यकर्ता पादरी केएम फिलिप और उनकी टीम जब सेक्टर 24 के घरकूल सीएचएस पहुंचे, तो अनूप किसी तरह फ्लैट का दरवाजा खोलने को राज़ी हुए। अंदर का दृश्य मानो कब्र से भी बदतर था। अनूप की हालत भी दयनीय थी। उनके पैर में संक्रमण था, वह महीनों से नहाए नहीं थे और फ्लैट में कोई फर्नीचर तक नहीं बचा था। वे लिविंग रूम में एक टूटी कुर्सी पर सोते थे और शायद ही किसी इंसान से बात करते थे।

अवसाद, अकेलापन और भरोसे की टूटन 

अनूप के जीवन की यह दुर्दशा अचानक नहीं आई। उनके माता-पिता – पिता वी.पी. कुट्टीकृष्णन नायर (टाटा अस्पताल में कार्यरत) और मां पूनमम्मा नायर (भारतीय वायु सेना, दूरसंचार शाखा) – दोनों की मौत हो चुकी थी। वहीं, उनके भाई ने करीब 20 साल पहले आत्महत्या कर ली थी। इस व्यक्तिगत त्रासदी और सामाजिक दूरी ने अनूप को गहरे अवसाद में धकेल दिया। किसी पर भरोसा न कर पाने की वजह से उन्होंने खुद को फ्लैट में कैद कर लिया। वे किसी से बात नहीं करते थे और न ही फ्लैट से बाहर निकलते थे। 

समाज की विडंबना और चेतावनी 

हार्मनी फाउंडेशन के संस्थापक और SEAL के मुख्य संरक्षक अब्राहम मथाई ने टिप्पणी करते हुए कहा: “यह घटना एक चेतावनी है कि कैसे भीड़-भाड़ वाले महानगरों में भी लोग अकेलेपन और अवसाद से मर सकते हैं, और हमें पता तक नहीं चलता। अनूप सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें समय रहते बचा लिया गया, लेकिन कई ऐसे लोग होते हैं जो बंद कमरों में दम तोड़ देते हैं।”

अब कहां हैं अनूप? 

SEAL की टीम ने उन्हें तुरंत अपने पनवेल स्थित रेस्क्यू सेंटर में भर्ती कराया। फिलहाल उन्हें मेडिकल केयर, काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य सहायता दी जा रही है। डॉक्टरों के मुताबिक, उनका स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति गंभीर लेकिन सुधरने योग्य है।

 

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