
Most Dangerous Indian Serial Killer Raman Raghav: भारत में कई कुख्यात अपराधियों के नाम लिए जाते हैं, लेकिन रमन राघव का नाम सबसे ऊपर आता है। वह कोई गैंगस्टर नहीं था, ना ही कोई माफिया। फिर भी उसकी दहशत इतनी थी कि मुंबई की सड़कों पर रात को सन्नाटा पसर जाता था। 1960 के दशक में इस सीरियल किलर ने न सिर्फ हत्या की, बल्कि उसने शवों के साथ भी दरिंदगी की।
रमन राघव एक बेहद गरीब परिवार से था और बचपन से ही मानसिक समस्याओं से जूझता रहा। वह छोटी-मोटी चोरी करता था, लेकिन समय के साथ उसकी मानसिक हालत और हिंसक हो गई। धीरे-धीरे वह बेघर लोगों को टारगेट करने लगा। वह रात के अंधेरे में फुटपाथ पर सो रहे लोगों के सिर पर लोहे की रॉड से हमला करता और वहीं पर उनकी हत्या कर देता।
रमन की क्रूरता सिर्फ हत्या तक सीमित नहीं थी। वह शवों के साथ बलात्कार करता था — जिसमें महिलाएं, बूढ़े और यहां तक कि अपनी सगी बहन भी शामिल थी। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, उसने बहन को गंभीर रूप से घायल करने के बाद बलात्कार किया था।
1965 की एक रात रमन ने फुटपाथ पर सो रहे 19 लोगों पर हमला किया, जिसमें 9 की मौत हो गई और 10 घायल हो गए। कुछ घायल पीड़ितों ने उसका हुलिया बताया, जिससे पुलिस को उसका पहला सुराग मिला। लेकिन उस समय की तकनीकी सीमाओं के कारण वह पुलिस की पकड़ से बार-बार बचता रहा।
जब 1968 में रमन राघव को पकड़ा गया, तो उसने पुलिस से एक अजीब शर्त रखी — “पहले मुझे अंडा, मटन, दूध और केले दो, तभी मैं सच बताऊंगा।” पुलिस ने उसकी मांग मानी। खाना खाने के बाद उसने अपनी डायरी पुलिस को सौंपी जिसमें हिंदी और अंग्रेज़ी में लिखा था — "खल्लास, खत्म"। इसके बाद उसने मजिस्ट्रेट के सामने 24 हत्याएं कबूल कीं।
रमन को पहले मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन वकीलों ने यह साबित किया कि वह मानसिक रूप से बीमार (शिज़ोफ्रेनिया) है। इसके बाद उसकी सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया। 1995 में पुणे की यरवदा जेल में उसकी किडनी फेल हो गई और उसकी मौत हो गई।
आज भी जब भारत के सबसे खतरनाक अपराधियों की बात होती है, तो रमन राघव का नाम सबसे ऊपर आता है। उसने ये साबित कर दिया कि जब मानसिक बीमारी और नफरत मिल जाएं, तो इंसान दरिंदा बन सकता है—और दरिंदगी की कोई सीमा नहीं होती।
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