
नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में पहलगाम हमले और नेपाल में हुई राजनीतिक अशांति पर अपनी चिंता जताई। उनका कहना था कि इन घटनाओं ने साफ कर दिया कि कौन वास्तव में भारत का मित्र है और किन देशों का रुख हमें सतर्क रहने के लिए प्रेरित करता है। भागवत ने नागपुर में आयोजित RSS की वार्षिक विजयादशमी रैली में कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में हमें और सतर्क, मजबूत और सावधान होने की जरूरत है।
भागवत ने कहा कि पहलगाम में आतंकवादियों ने सीमा पार कर 26 भारतीयों की हत्या कर दी, और इसके बाद देश ने मजबूती से जवाब दिया। उन्होंने साफ किया कि यह घटना न सिर्फ आतंकियों की नीयत दिखाती है, बल्कि दुनिया के कुछ देशों के वास्तविक रुख को भी सामने लाती है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि चीन, तुर्की और अज़रबैजान जैसे देश अक्सर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के पक्ष में खड़े दिखाई देते हैं।
भागवत ने नेपाल में हाल ही में हुई अशांति का जिक्र करते हुए कहा कि पड़ोस में अस्थिरता किसी के लिए भी अच्छा संकेत नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंसक विद्रोह और आंदोलन केवल अराजकता फैलाते हैं और किसी समस्या का समाधान नहीं करते। उनका मानना है कि पड़ोसी देशों की स्थिरता और शांतिपूर्ण माहौल भारत की सुरक्षा और रणनीति के लिए महत्वपूर्ण हैं।
मोहन भागवत ने अमेरिकी टैरिफ नीति का भी जिक्र किया और कहा कि हमें स्वदेशी उत्पादों और आत्मनिर्भरता पर भरोसा करना चाहिए। उनका कहना था कि यह न केवल आर्थिक मजबूती लाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय दबावों और चुनौतियों का सामना करने में भी मदद करता है।
भागवत ने रैली में RSS की स्थापना और उसकी भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि RSS की स्थापना 27 सितंबर 1925 को नागपुर में डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गई थी। दशहरा के दिन इस संगठन ने सामाजिक सेवा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अपना मार्गदर्शन शुरू किया।
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