
Who is Ananya Yadav: उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले के जलालपुर तहसील स्थित अजईपुर गांव की रहने वाली 6 साल की अनन्या यादव आज पूरे देश में बहादुरी की मिसाल बन चुकी है। बीते 21 मार्च को जब गांव में अतिक्रमण हटाने के दौरान प्रशासन का बुलडोजर आया, तो अनन्या की झोपड़ी में आग लग गई। झोपड़ी धू-धू कर जलने लगी, लेकिन इसी दौरान अनन्या जान की परवाह किए बिना आग की लपटों में घुसी और किताबों से भरा अपना बैग सीने से चिपका कर बाहर निकल आई।
इस वीडियो ने इंटरनेट से लेकर अदालत तक हर किसी का ध्यान खींचा। एक बच्ची जो अपने भविष्य के सपने को आग में भी जलने नहीं दे रही थी — ये दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और हर तरफ से प्रतिक्रियाएं आने लगीं।
अनन्या के पिता मज़दूरी करते हैं और मां एक गृहणी हैं। परिवार की माली हालत बेहद खराब है। कक्षा एक में पढ़ रही अनन्या अपने छोटे भाई के साथ एक टूटी-फूटी झोपड़ी में रहती है। न बिजली, न पक्की दीवारें, फिर भी आंखों में आईएएस बनने का सपना है। परिवार में कोई पढ़ा-लिखा नहीं, न ही कोई सरकारी नौकरी है। ऐसे में अनन्या का पढ़ाई के लिए जुनून आज सबको प्रेरित कर रहा है।
जब यह मामला तूल पकड़ने लगा तो समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इसका संज्ञान लिया और ऐलान किया कि अनन्या यादव की पढ़ाई का पूरा खर्च अब वे उठाएंगे। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा: “जो बच्चों का भविष्य उजाड़ते हैं वे बेघर होते हैं। हम बच्ची की पढ़ाई का संकल्प उठाते हैं। पढ़ाई का मोल पढ़ने वाले ही जानते हैं। बुलडोजर विध्वंसक का प्रतीक है, ज्ञान बोध या विवेक का नहीं।”
अनन्या का यह मामला सिर्फ एक गरीब बच्ची की बहादुरी की कहानी नहीं, बल्कि उस व्यवस्था पर भी सवाल है जहां बुलडोजर के पहियों के नीचे गरीबों के सपने कुचले जा रहे हैं। लेकिन अनन्या जैसे बच्चों के जज़्बे से उम्मीदें ज़िंदा हैं। किताबों को सीने से लगाए दौड़ती ये बच्ची अब लाखों के दिलों में बस चुकी है।
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