
रामनगरी अयोध्या में श्रद्धा का सागर उमड़ पड़ा है। दीपोत्सव की जगमगाहट और राम मंदिर की दिव्यता के बीच अयोध्या ने इस वर्ष नया इतिहास रच दिया है। 2025 में जून तक 23 करोड़ से अधिक श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे, जो अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। सरयू तट से लेकर राम जन्मभूमि तक, हर दिशा से आती भक्तों की भीड़ ने अयोध्या को श्रद्धा की राजधानी बना दिया है।
योगी सरकार के विजन के अनुरूप, दीपोत्सव ने अयोध्या की पहचान सिर्फ धार्मिक नगरी के रूप में नहीं बल्कि कला, संस्कृति और पर्यटन के वैश्विक केंद्र के रूप में मजबूत की है। पिछले आठ वर्षों से लगातार मनाए जा रहे इस आयोजन ने अयोध्या को विश्व पटल पर चमकाया है।
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2017 में जब दीपोत्सव की शुरुआत हुई थी, तब लगभग 1.78 करोड़ श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे थे। इसके बाद यह संख्या हर वर्ष बढ़ती गई -
इनमें 23,81,64,744 भारतीय और 49,993 विदेशी पर्यटक शामिल हैं। यह आंकड़ा उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग, लखनऊ द्वारा जारी किया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर अयोध्या में आधारभूत संरचनाओं में बड़ा बदलाव आया है।
अयोध्या की बढ़ती लोकप्रियता स्थानीय निवासियों के लिए भी वरदान साबित हो रही है। होटल, गाइड, परिवहन, हस्तशिल्प और भोजनालयों से जुड़े व्यवसायों में हजारों नए रोजगार उत्पन्न हुए हैं। विदेशी पर्यटकों की बढ़ती संख्या से स्थानीय संस्कृति, उत्पाद और लोककला को भी नई पहचान मिल रही है।
अयोध्या का दीपोत्सव अब केवल धार्मिक आयोजन नहीं रहा, बल्कि यह आस्था और अर्थव्यवस्था दोनों का केंद्र बन चुका है। लाखों दीपों की रोशनी में नहाती रामनगरी अब सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा का जीवंत प्रतीक बन चुकी है।
2025 में श्रद्धालुओं का यह रिकॉर्ड बताता है कि योगी सरकार के प्रयासों से अयोध्या अब भारत का सबसे बड़ा आध्यात्मिक पर्यटन केंद्र बन चुकी है। आने वाले वर्षों में यह संख्या और बढ़ेगी, क्योंकि अयोध्या अब सिर्फ देखी नहीं जाती - महसूस की जाती है।
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