
अयोध्या। मंगलवार को अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि मंदिर का वातावरण इतिहास में दर्ज होने वाला बन गया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्य शिखर पर 161 फीट की ऊंचाई पर धर्म ध्वज फहराया। यह ध्वजारोहण रामायण कालीन परंपरा का जीवंत प्रतीक बना।
अभिजीत मुहूर्त में जैसे ही ध्वजारोहण प्रक्रिया शुरू हुई, पूरे परिसर में शंखनाद, वैदिक मंत्रोच्चार और घंटियों की आवाज गूंज उठी। प्रधानमंत्री ने बटन दबाया और धर्म ध्वज धीरे-धीरे ऊपर उठने लगा। आधुनिक तकनीक और प्राचीन परंपरा का यह अद्भुत संगम देखने लायक था।
इस ऐतिहासिक पल के साक्षी रहे
ध्वज शिखर पर पहुंचते ही प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान श्रीराम के प्रति श्रद्धा व्यक्त की, जिससे पूरा वातावरण भक्ति और गौरव से भर गया।
ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देवगिरी महाराज ने बताया कि धर्म ध्वजा रघुवंशी परंपरा के अनुसार तैयार की गई है और इसका आधार वाल्मीकि रामायण है। ध्वज में शामिल तीन पवित्र प्रतीक-
ध्वजा भगवा रंग में है, जो धर्म-संरक्षण, तपस्या और त्याग का प्रतीक माना जाता है।
मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर नागर शैली की भव्यता को दर्शाता है। मुख्य विशेषताएं-
मंदिर परंपरा, कला और आस्था का यह अद्भुत संगम अब विश्व स्तर पर भारतीय विरासत का प्रतीक है।
ध्वजारोहण के दौरान "जय श्री राम" के गगनभेदी नारों से पूरा परिसर भक्तिमय हो उठा। यह वही आध्यात्मिक ऊर्जा थी जो 22 जनवरी 2024 की प्राण-प्रतिष्ठा के समय महसूस हुई थी। यह क्षण अयोध्या की सनातन पहचान, वैदिक परंपराओं और सांस्कृतिक चेतना को फिर एक बार उजागर कर गया।
ध्वज स्थापना के साथ श्री राम मंदिर आध्यात्मिक धरोहर और सांस्कृतिक विरासत के रूप में विश्व मंच पर और अधिक प्रतिष्ठित हो गया है।
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